अंतर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने रूस की सैन्य, आर्थिक मदद करने पर चीन को दी धमकी

वाशिंगटन

अमेरिका ने युद्धरत रूस को सैन्य और आर्थिक सहयोग दिए जाने के चीन के किसी भी प्रयास के लिए कड़ी चेतावनी दी है।

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन के विरुद्ध पिछले 19 दिनों से चले आ रहे युद्ध में रूस के पास मात्र 10-12 दिनों के का सैन्य साजो सामान रह गया है और इस समय वह हताशा में आवासीय बस्तियों, अस्पतालों और नागरिक सुविधाओं को निशाना बना रहा है।

हालांकि चीन की तरफ से बीजिंग विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका के ऐसे दावों को बेबुनियाद बताया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवान ने सोमवार को रोम में चीन की पोलित ब्यूरो के सदस्य और विदेश विभाग में एक निदेशक यांग जीईचि से मुलाक़ात कर चीन को सचेत किया है कि ऐसी घड़ी में जब रूस के विरुद्ध दुनिया भर में रोष उमड़ रहा है, चीन की ओर से सैन्य अथवा आर्थिक मदद के भयंकर परिणाम होंगे। ऐसे में चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएगा।

व्हाइट हाऊस में प्रेस ब्रिफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में प्रेस सचिव जेन पिसाक और एक अन्य वक्तव्य में विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भी रूस को सैन्य साजो सामान और आर्थिक मदद दिए जाने पर चीन को गम्भीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है।

इस संदर्भ में क्रेमलिन में रूसी प्रवक्ता दिमित्रि पेसकोव ने चीन से किसी भी तरह की मदद लिए जाने का खंडन किया है।

अमेरिका की ख़ुफिया एजेंसी और चीनी ड्रोन का हवाला देते हुए रूस पर चीन से सैन्य और आर्थिक मदद की बात मीडिया में की जा रही है।

एक अन्य अख़बार लॉस एंजेल्स टाइम्स ने भी चीन की ओर से रूस को मिलिटरी साजो सामान और आर्थिक सहयोग दिए जाने के दावे किए हैं। अख़बार ने लिखा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जीनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अच्छे सम्बन्धों के कारण यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा नहीं की। इतना ही नहीं, युद्ध शुरू होने के बाद भी चीन तटस्थता का राग अलापता आ रहा है, जबकि दूसरी ओर यूक्रेन को मानवीय सहयोग देने का ढोंग रच रहा है।

अख़बार ने यह भी लिखा है कि ट्रम्प कार्यकाल में जब अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच दूरियाँ बढ़ रही थीं, तब चीन ने इसका लाभ उठा कर यूरोपीय देशों से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए यूक्रेन में निवेश किया और कारोबार बढ़ाया, लेकिन आज जब यूक्रेन को सैन्य, आर्थिक मदद की ज़रूरत है तो वह पीछे हट रहा है।

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