हरियाणा

 गांवों की शामलात भूमि पंचायत को दिए जाने के आदेशों के विरोध में हुई 40 गांवों की महापंचायत


सनौली खुर्द गांव की शिवगंगा धर्मशाला में हुई यमुना सुधार समिति के बैनर तले महापंचायत में विभिन्न गांवों के सैकडों गणमान्य लोगों ने लिया भाग
सभी गांवों से 4-4 गणमान्य लोगों की बनाई कमेटी, समाधान नही हुआ तो आगे की बनाएगी रणनीति
जल्द सांसद संजय भाटिया से मुलाकात कर समस्या से कराया जाएगा अवगत
शामलात भूमि को पंचायत को दिया तो कई गांवों में किसी के पास नही बचेगी एक भी एकड जमीन
बापौली , 10 जुलाई: सनौली खुर्द गांव की शिव गंगा धर्मशाला में शामलात जमीन को लेकर निर्देशक वितीय रैवेन्यू व जिला उपायुक्तों को दिए गए आदेश वापिस लेने और शामलात जमीन का इंतकाल पंचायतो को ना किए जाने की मांग को लेकर यमुना नदी से सट्टे करीब 40 गांवों की महापंचायत यमुना सुधार समिति के बैनर तले हुई। जिसमें सैकडों गणमान्य लोगों ने भाग लिया और रणनीति तैयार करते हुए जल्द ही उक्त मामलें को लेकर सांसद संजय भाटिया से मिलकर समस्या का समाधान करवाने के लिए कमेटी तैयार की जिसमें हर गांव से चार-चार गणमान्य व्यक्तियों को लिया गया। महापंचायत में पूर्व सरपंच व निवर्तमान सरपंच के ससुर सुरेन्द्र शर्मा ने आए सभ गणमान्य लोगों का किया स्वागत। इस दौरान यमुना सुधार समिति के प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता रत्नसिहं रावल ने कहा कि यमुना नदी के साथ लगते गांवों की शामलात देह की जमीन में हिस्सेदार व बिस्वेदार व अमन पसंद आदमी है। जिनका मुख्य अजीवका का साधन खेती बाडी है। इन गांव की काफी जमीन यमुना के खादर मे है। कई वर्ष पहले गांव की जमीन जो किसानो की मलकीयत थी, यमुना नदी के पानी के बहाव की वजह से यमुना नदी मे बुर्द हो गई थी। जिसकी वजह से किसानो को अपनी अपनी जमीन कास्त करने से वंचित रहना पड़ा और जब जमीन यमुना पानी के बहाव दूसरी तरफ होने की वजह से दोबारा बरामद हुई तो बुर्द होने से लेकर बरामद होने के बीच के समय में उक्त जमीन का राजस्व रिकार्ड मे शामलात का इन्द्राज दर्ज हो गया, क्योकि उस समय राजस्व अधिकारी ऐसा ही कर देते थे क्योंकि मिशल बुर्दी बरामदगी बनती थी, लेकिन जब से उक्त जमीन बरामद हुई है तभी से सभी हिस्सेदारो बिस्वेदार जिनकी मलकीयत जमीन बुर्द हुई थी उस पर बतौर मालिक की हैसियत से बिना किसी दखलअंदाजी के लगातार कास्त करते चले आ रहे है इस जमीन से पंचायत या किसी अन्य का किसी तरह का कोई हक व वास्ता नही है।  पंजाब लैंड रैन्नयू एक्ट तैयार करते वक्त ही प्रावधान रखा गया था कि बुर्दी बरामदगी जमीन का पंचायत से कोई वास्ता नही होगा (2जी अपवाद) यमुना नदी से सट्टे खाददर के कई गांवो में मलकीयत जमीन का नामों निशान नही है बल्कि सभी के पास शामलात जमीन है। क्योंकि उनकी पूरी जमीन यमुना में बुर्द हो गई थी। यमुना में बुर्द होने से पहले मलकीयत जमीन थी। शामलात का इन्द्राज राजस्व रिकार्ड मे बुर्द होने के बाद आया है ऐसा राजस्व रिकार्ड में भी स्पष्ट है कि यह जमीन कभी भी पंचायत में नही रही है। महापंचायत मेें उपस्थित सभी ने मांग करते हुए कहा कि पंचायत का इस जमीन से कोई वास्ता नही है। इसलिए एफ0सी0आर हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार मानते हुए उपायुक्त को निर्देश दिए है कि जिस जिस जमीन का राजस्व शिकर्ड में शामलात का इंद्राज है उक्त  इंतकाल ग्राम पंचायत के नाम मलकीयत कर दिया जाए। को रद्द कर दिया जाए।

पंचायत के पास ना रहने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश नही होते लागू
अधिवक्ता रत्नसिहं रावल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश उनकी उक्त जमीन पर लागू नही होते है क्योकि उनके गांवों की उक्त जमीन किसी भी समय ग्राम पंचायत की नही रही है बल्कि यह यमुना में बुर्द होने की वजह से शामलात बनी है उनके  साथ अन्याय हो रहा है क्योकि पहले उन्हेे जमीन बुर्द होने की वजह से अपनी जमीन कास्त करने से वंचित रहना पड़ा और बरामद होने से पहले उनकी मलकीयत की जमीन को शामलात बना दिया।

1842 से लेकर 1974 तक हमारी मलकीयत जमीन बुर्द को छिनने की रची जा रही साजिस
अधिवक्ता रत्नसिहं रावल ने बताया कि यमुना नदी से सट्टे गांवों के ग्रामीणों से जमीन छीनने की नियत से इसका इन्द्राज ग्राम पंचायत के नाम करना चाहते है जोकि न्याय के विरूद्ध है यदि शुरू से लेकर आजतक इस भूमि के राजस्व रिकार्ड का अवलोकन किया जाता है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह जमीन किसी भी सुरत मे ग्राम पंचायत के नाम नहीं की जा सकती है क्योकि यह हमारी मलकीयत को जमीन है और बन्दोबस्त 1842 से लेकर 1974 तक हमारी मलकीयत जमीन बुर्द हुई है। जिसकों छिन्नें की साजिस रची जा रही है। जिससें पूरें के पूरे गांव बिना जमीन के हो जाएगें।

नोटिफिकेशन वापिस लेकर उन्हे दिया जाए न्याय
महापंचायत में सर्वसम्मति से कहा कि सरकार नोटिफिकेशन न0 पी0वी0सी0एल0 हरियाणा अमैडमैन्ट एप 2020 ( हरियाणा एक्ट न. 2020) को वापिस लेकर शामलात भूमि का इंतकाल पंचायत के ना किया जाए। ताकि उनके साथ न्याय हो सकें और पी0वी0सी0 एल हरियाणा अमेन्डमैन्ट एक्ट 2020 (हरियाणा एक्त 20 आफ 2020) के अनुसार पी0वी0सी0एल एक्ट की धारा 2 (जी) 1 के अपवाद के रदद किया गया है उसे नियमानुसार वापिस लेने के आदेश पारित कर सभी सम्बधित जिलाउपायुक्तों को निर्देश दिए जाएं। ताकि मालिकों की जमीन उनके पास रह सके।

ये रहे मौजूद
महापंचायत में पूर्व सरपंच सुरेन्द्र शर्मा, संजय त्यागी, रविन्द्र रिसपुर, ऋषिपाल त्यागी सनौली कलां, मौलवी हारून पत्थरगढ, पप्पू संजौली, सुभाष झांबा, जगबीर तामशाबाद, याकूब पत्थरगढ,मांगा नम्बरदार, अधिवक्ता एसपी अरोडा, अधिवक्ता राजकुमार, अधिवक्ता अशोक रावल, बलिन्द्र गोयला खुर्द, नरेन्द्र रमाल, रामरत्न तामशाबाद, दीपक नगंला पार, प्रकाश नन्हेडा, सुल्तान, सुरेन्द्र फौजी, नरसा रिसपुर सहित सेकडों आस पास के 40 गांवों के ग्रामीण मौजूद थें।

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