दुधारू गौवंशों की मांग में उछाल से पशुपालकों के चेहरे खिले
– अन्ना पशुओं की मार झेल रहे पशुपालकों में जगी उम्मीद की किरण
– बाजारबंदी खुलते ही गायों की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी
औरैया, 25 जनवरी। लॉक डाउन और लंपी महामारी के बाद पटरी पर आए पशुपालन कारोबार में महंगाई का रुख देखने को मिल रहा है। जिससे पशुपालकों के चेहरों पर खुशी देखने को मिल रही है।
दुधारू गायों में अच्छी नस्लों में शुमार शाहीवाल, मारवाड़ी, फ्रीजन गायों की औसतन 80 हजार से एक लाख तक की कीमतों में बीते माह में अचानक 15 से 20 हजार रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके चलते शाहीवाल गाय के दाम एक लाख रुपये से ऊपर हो गए है। जबकि फ्रीजन गाय को दूध के मामले में सबसे उत्तम माना जाता है जो लगभग 40 से लेकर 50 लीटर तक दूध निकालती है। इसके लिए सामान्यता मशीन से ही मिल्क प्रोसेसिंग विधि को अमल में लाया जाता है। मारवाड़ी और शाहीवाल को आमतौर पर सामान्य पशुपालक ग्रामीण परिवेश में भी परवरिश कर दुग्ध उत्पादन कर सकते हैं। सामान्यता देखा गया है कि पशुपालकों में आवारा गौवंशों की समस्या के बीच अब नस्लीय गायों की मांग तेजी से बड़ी हैं। लोगों का रुझान अब देसी गायों के बजाए ब्रीडिंग गायों की ओर हो रहा है, जिसके चलते कीमतों में अप्रत्याशित उछाल आया है।
पशुपालक पदम नारायण दुबे बताते हैं कि बीहड़ी परिवेश से निकलकर नस्लीय गायों को पाल कर दुग्ध उत्पादन को आय का जरिया बनाया। शुरु-शुरु में देशी गायों पर काम किया लेकिन बीते कुछ अरसे से लोगों में नस्लीय गायों की मांग बढ़ी और दुग्ध उत्पादन में भी लाभ का प्रतिशत बड़ा और अब वह नस्लीय गायों को पालने लगे हैं। बाजारबंदी खुलने के बाद से जिस तरह बिक्री में इजाफा हुआ है वह दुधारु पशुपालकों के लिए अच्छे संकेत हैं।