दिल्ली

28 लोगों की मौत के जिम्मेदार भाजपा के तीनों अध्यक्ष: सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी मांग करती है कि दिल्ली के तीनों अध्यक्षों यानी आदेश गुप्ता, मनोज तिवारी और सतीश उपाध्याय पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए क्योंकि उपरोक्त तीन अधिकारियों के निलंबन से यह साबित हो गया कि इन 28 लोगों की मौत के जिम्मेदार दिल्ली भाजपा के तीनों अध्यक्ष हैं।

कुछ दिन पहले दिल्ली के मुंडका इलाके में एक गैर-कानूनी ढंग से चल रही इमारत में आग लग गई थी। जिसमें करीब 28 लोगों की जान चली गई। लोगों के शरीर इस तरह जल गए कि उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराने पड़े।

तीन दिनों से भाजपा के नेता शोर मचाकर किसी तरीके से सारा आरोप दिल्ली सरकार पर डालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने इसके लिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। “मुझे दुख है कि कुछ अखबार और टीवी चौनलों को भी भाजपा के लोग गुमराह करने में कामयाब रहे कि दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच एक दोषारोपण चल रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आदेश गुप्ता दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष होने के साथ पार्षद भी हैं। जिस इमारत में आग लगी है, वह करीब 500 गज की लालडोरा एक्सटेशन की जमीन है। इमारत मेन रोड पर है तो सवाल ही नहीं उठता है कि वो किसी से छुपाकर बनाई गई हो। जाहिर है कि इतनी बड़ी इमारत गैर-कानूनी तरीके से बनी है। इसका मतलब है कि दिल्ली नगर निगम ने रिश्वत खाई गई।

उन्होंने कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुंडका के प्रत्याशी आजाद सिंह थे। आजाद सिंह, दिल्ली भाजपा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा के छोटे भाई हैं और दिल्ली भाजपा के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के चाचा हैं।

2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान आजाद सिंह का कार्यालय उसी इमारत में था, जिसमें इतनी भीषण आग लगने से 28 लोग मारे गए। बाकायदा फोटो दिखाई जिसमें प्रवेश वर्मा के चाचा और भाजपा के उम्मीदवार एक गाड़ी में साथ घूम रहे हैं और यह तो बिल्कुल संभव नहीं है कि आपने विधानसभा चुनाव के दौरान किसी अंजान व्यक्ति के घर में अपना मुख्य दफ्तर बना लिया।

कुछ दस्तावेज पेश करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 2016 में एमसीडी ने उस इमारत को एनओसी दी। इस इमारत में वाइन शॉप थी, जिसका लाइसेंस एक्साइज विभाग देता है। एक्साइज विभाग जब लाइसेंस देता है, तो पहले यह जांच करता है कि इमारत अधिकृत है या नहीं, इमारत कॉमर्शियल है या नहीं है, यह सभी चीजें वह एमसीडी से पूछता है।

एमसीडी को इससे संबंधित एक सर्टिफिकेट देना पड़ता है, जिसमें कहा जाता है कि सबकुछ ठीक है। इमारत का नक्शा पास है या नहीं, यह एक्साइज विभाग को नहीं, बल्कि बिल्डिंग विभाग को पता होता है और वहां से एनओसी दे दी गई थी। यह झूठा सर्टिफिकेट एमसीडी के असिस्टेंट कमिश्नर सलीम द्वारा बनाया गया था। सर्टिफिकेट में लिखा गया कि इमारत अधिकृत तरीके से बनी हुई है और कॉमर्शियल के उद्देश्य से इस्तेमाल हो सकती है।

उन्होंने कहा कि जिस इमारत का नक्शा नहीं है और कोई अधिकृत प्लान नहीं है, उसे व्यवसायिक गतिविधि के लिए अधिकृत कैसे कर दिया गया? जाहिर है कि पैसे खाकर किया होगा।

भाजपा ने माना कि 28 मौतों के लिए एमसीडी के अधिकारी है जिम्मेदार ‘आप’ के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब जब पूछताछ हो रही है और आम आदमी पार्टी लगातार पिछले तीन दिनों से प्रेसवार्ता कर रही है, तो बीजेपी को मानना पड़ा कि इसके लिए सिर्फ और सिर्फ दिल्ली नगर निगम के अधिकारी जिम्मेदार हैं। अब एमसीडी ने नॉर्थ एमसीडी के तीन अधिकारियों को निलंबित किया है। लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर, फैक्ट्री इंस्पेक्टर और हाउस टैक्स इंस्पेक्टर को निलंबित किया गया है।

इन लोगों को क्यों निलंबित किया गया ? क्योंकि लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर जिम्मेदारी होती है कि यदि कहीं भी कॉमर्शियल गतिविधि हो रही है तो वह देखेगा कि यह अधिकृत है या अनधिकृत। अगर उसके पास लाइसेंस नहीं है, तो इमारत को सील करने की कार्रवाई शुरू करनी पड़ेगी। फैक्ट्री इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी यह जांचने की है कि उसके क्षेत्र में कहीं अवैध फैक्ट्री तो नहीं चल रही है।

यदि ऐसा है तो इसकी कार्रवाई भी करनी पड़ेगी, जो नहीं की गई। तीसरा, हाउस टैक्स इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी यह है कि यह इमारत अगर कई सालों से हाउस टैक्स भर रही है तो उसमें इतनी बड़ी कॉमर्शियल गतिविधि कैसे चल रही है।

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