फतेहाबाद: चीतों के भोजन के लिए हिरणों को छोडऩे जाने पर जीव प्रेमियों ने किया प्रदर्शन
फतेहाबाद, 20 सितम्बर। मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में चीतों के शिकार के लिए चीतल हिरणों को छोडऩे के विरोध में वन्य जीव प्रेमियों व बिश्नोई समाज के लोगों ने दूसरे दिन भी लघु सचिवालय के बाहर धरना दिया। इसके बाद जीव प्रेमी प्रदर्शन करते हुए उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर चीतल हिरणों को वहां छोडऩे पर प्रतिबंध लगाने और हिरण प्रजाति के जीवों के लिए संरक्षण प्रोजेक्ट चलाने की मांग की।
प्रदर्शन की अगुवाई अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने की। इस अवसर पर सभा के प्रदेशाध्यक्ष के अलावा श्री गुरू जम्भेश्वर सेवक सभा के प्रधान सुरजीत सिंह, जगदीश धारनियां, सुंदर सिंह, अनुराग, विक्रम, अंकित, राजाराम, मदनलाल, विनोद, सुरेश, संजय, नवीन, फीर चंद, मुकेश, रविन्द्र, रामती, हवा सिंह, शिवकुमार देहडू, बालूराम खदाई, कृष्ण लाल, पवन सुथार, राजेन्द्र गोदारा भाणा, चन्द्रभान शर्मा धारनियां, राधेश्याम धांगड़, विष्णु, कृष्ण खिचड़ धांगड़,, रामनिवास हसंगा, जगदीश गोदारा, सुशील बिश्नोई एडवोकेट, जगदीश, कल्याण सिंह मौजूद रहे।
इन लोगों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा भारत में चीतों के पुर्नवास के प्रयास किए जा रहे हैं। चीते करीब 7 दशक पहले तक आबाद थे लेकिन उसके बाद बढ़ते शिकार, घटते जंगलों के कारण ये यहां से लुप्त हो गए। भारत सरकार के पुर्नवास के प्रयास दशकों बारे सफल हुए है लेकिन खबरें आ रही है कि इन चीतों के खाने के लिए चीतल हिरणों की विशेष व्यवह्यरूथा की गई है और सेंकड़ों चीतल हिरण चीतों वाले क्षेत्र में छोड़े गए हैं। इससे सभी जीव प्रेमियों खासकर बिश्नोई समाज को गहरा आघात पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि काला हिरण, चिंकारा, बार्किंग डियर, चीतल/स्पोटिड डियर ये सब भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के अनुसार संरक्षित वन्यजीव है। सरकार द्वारा विदेश से लाकर एक प्रजाति के भरण पोषण के लिए एक स्थानीय संरक्षित प्रजाति को उनका निवाला बनाने की बात ठीक नहीं है। उन्होंने मांग की कि जीव प्रेमियों की भावनाओं को समझते हुए कुनो नेशनल पार्क में चीतल हिरणों को छोडऩे पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए तथा हरियाणा व राजस्थान में घट रहे हिरणों के सम्बंध में संज्ञान लेते हुए हिरणों के संरक्षण के लिए इलाके रिजर्व किया जाए।