राष्ट्रीय

उत्तराखंड : विधानसभा में नियुक्तियों पर अध्यक्ष ऋतु का कठोर निर्णय, जांच समिति गठित

-तीन सदस्यीय समिति करेगी जांच, सचिव को अगले आदेश तक अवकाश पर भेजा

देहरादून, 03 सितम्बर। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ने नियुक्तियों पर कठोर निर्णय लिया है। उन्होंने जहां तीन सदस्यीय समिति के माध्यम से सारे प्रकरणों की जांच कराकर एक माह के भीतर रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने का निर्देश दिया है वहीं वर्तमान सचिव मुकेश सिंघल को अगले आदेश तक अवकाश पर जाने का निर्देश दिया है। वह भी इस शर्त पर कि जांच समिति के बुलाए जाने पर वे उसके सामने प्रस्तुत होंगे और अपने तथ्य रखेंगे।

विस अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने विदेश से लौटने के बाद शनिवार को विधानसभा में भर्ती के मामले में मीडिया के सामने अपनी बात रख रही थी। इससे पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक पत्र लिखकर उनसे इस मामले पर जांच कराने का आग्रह किया था।

विस अध्यक्ष खंडूडी ने इस प्रकरण की जांच के लिए सेवानिवृत्त आईएएस दिलीप सिंह कोटिया, सुरेन्द्र सिंह रावत और अवनिन्द्र नयाल सहित तीन सदस्यों की एक समिति बनाई गई है जिसकी अध्यक्षता दिलीप सिंह कोटिया करेंगे।

विस अध्यक्ष खंडूडी ने विधानसभा के सचिव मुकेश सिंघल जो शोध अधिकारी थे और जिन्हें निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा प्रोन्नत कर सचिव बना दिया गया था, को एक माह के लिए अवकाश पर भेज दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि न खाऊंगा न खाने दूंगा। मैं उसी सूत्र की पक्षधर हूं। उन्होंने कहा कि इन घोटालों से विधानसभा की गरिमा गिरी है। उन्होंने युवाओं को नियुक्ति को लेकर निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है।

ऋतु ने कहा कि युवाओं को पूरा अवसर दिया जाएगा। एक माह के भीतर यह तीन सदस्यीय समिति जो रिपोर्ट देगी, उसका पूरा अनुपालन होगा। मेरा प्रयास है कि विधानसभा की गरिमा दोबारा बनाऊं। पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर कि समिति के निर्णय के बाद कार्रवाई होगी तो आपका क्या निर्णय होगा। उन्होंने कहा कि आपको एक माह का इंतजार करना चाहिए।

गौरतलब है कि विधानसभा में पिछले दरवाजे से की गई भर्तियां राजनीतिक दलों के लिए समस्या का कारण बन गई हैं। अब इस प्रकरण पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने शनिवार को 2012 से 2022 तक की नियुक्तियों के जांच की घोषणा की है। 2000 से 2011 तक की नियुक्तियां उत्तर प्रदेश के नियमों पर की गई थीं जबकि 2012 से 2022 तक नियुक्तियां उत्तराखंड के नियम पर की गई हैं। उन्होंने कहा की आवश्यकता पड़ने पर दोनों की जांच कराएंगी। इसके लिए एक माह का समय दिया गया है। उन्होंने कहा है कि विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों और प्रोन्नतियों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा।

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