उत्तर प्रदेश

मेरठ में निकाय चुनावों को लेकर भाजपा, बसपा, सपा सक्रिय

मेरठ, 08 नवम्बर । नगर निकाय चुनावों में अपना वर्चस्व साबित करने के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। मेरठ नगर निगम में अपनी खोई ताकत को भाजपा फिर से हासिल करने की जद्दोजहद में है तो बसपा फिर से इतिहास दोहराने की तैयारी में है। वर्तमान महापौर को अपने पाले में कर चुकी सपा भी नगर निगम की ताकत बनने को बेकरार है।

नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा का समय निकट आ रहा है। अभी नगरीय निकायों के वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया चल रही है। शासन स्तर से हरी झंडी मिलने से पहले ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपनी-अपनी गोटी बैठाने में जुटे हैं। खासकर मेरठ नगर निगम के चुनाव पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें लगी हुई हैं। 2017 में हुए नगर निगम पर बसपा की सुनीता वर्मा को महापौर पद पर जीत हासिल हुई थी। जबकि भाजपा की कांता कर्दम और सपा की मीनू मनोठिया को हार का सामना करना पड़ा था। उस समय महापौर का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित था। इस बार महापौर का पद अनारक्षित रहने के आसार है। ऐसे में महापौर पद को लेकर भाजपा सबसे ज्यादा आक्रामक नजर आ रही है। भाजपा किसी भी कीमत पर महापौर पद को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती। वर्तमान महापौर सुनीता वर्मा हाथी की सवारी छोड़कर साईकिल का हैंडल थाम चुकी है। उनके पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा भी साईकिल पर सवार है और 2022 में हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से सपा टिकट पर चुनाव लड़े थे। बसपा और सपा भी महापौर पद पर जीत हासिल करने को बेकरार है।

समाजवादी पार्टी ने रालोद से गठबंधन के सहारे नगरीय निकाय चुनावों में फतह करने की ठानी हुई है। इस जंग में कांग्रेस और बसपा भी पीछे नहीं है। बसपा के नए पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी इमरान मसूद ने विभिन्न जिलों का दौरा करते हुए कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास शुरू किया है तो कांग्रेस के नए प्रांतीय अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा करके कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर रहे हैं।

सपा को साबित करना होगा अपना दबदबा

मेरठ जनपद में 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा ने अपना परचम फहराया। जिले की सात विधानसभा सीटों में से चार पर सपा के विधायकों को जीत हासिल हुई, जबकि भाजपा को केवल तीन सीटों पर जीत मिल पाई। ऐसे में निकाय चुनावों में भी सपा के सामने अपना सियासी दबदबा साबित करने की चुनौती है तो भाजपा को फिर से अपनी ताकत दिखानी होगी। सपा नेतृत्व नगर निगम में महापौर के साथ-साथ पार्षद भी अपने जिताने की जुगत में है। इसके साथ ही मेरठ की दो नगर पालिका परिषद और आठ नगर पंचायतों में भी अपने अध्यक्ष और सभासद जिताना चाह रही है। सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह कहते हैं कि नगरीय निकायों में भी इस बार सपा को जीत हासिल होगी।

सपा-रालोद के बीच होगी खींचतान

सपा और रालोद के बीच गठबंधन के चलते सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान होगी। 2017 में सपा-रालोद अलग-अलग चुनाव लड़कर मेरठ नगर निगम के 90 वार्डों में से केवल पांच सीट ही जीत पाए। इनमें सपा चार तो रालोद एक पार्षद जितवा पाई। अब गठबंधन में दोनों दल आधे से अधिक सीट जीतने का दम भर रहे हैं। सरधना नगर पालिका और सिवालखास नगर पंचायत में सपा के अध्यक्ष चुनाव जीते। इसी तरह से मवाना नगर पालिका, खरखौदा, हर्रा, खिवाई, किठौर, किला परीक्षितगढ़, फलावदा आदि नगर पंचायतों में सपा और रालोद जीत का दावा कर रहे हैं।

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