चिराग पासवान पितृपक्ष के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में होंगे शामिल
पटना, 07 सितम्बर। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद को मजबूत करने के लिए सभी तरह के हथकंडे अपना रहा है। पितृपक्ष के बाद चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की तैयारी है। छह प्रतिशत वोट बैंक के साथ दलित बिरादरी के बड़े चेहरों में शुमार चिराग बिहार में भाजपा की नैया को पार लगाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
भाजपा और लोजपा से मिली जानकारी के अनुसार जदयू के नुकसान की काफी हद तक भरपाई रामविलास पासवान की पार्टी और उनके बेटे चिराग पासवान ही कर सकते थे। पुराने सहयोगी होने की वजह से चिराग को एनडीए में आने से कोई परहेज नहीं था लेकिन कुछ शर्तें थीं। भाजपा ने अधिकतर शर्तों को मान लिया है।
लोजपा रामविलास पार्टी प्रवक्ताओं का कहना है कि चिराग पासवान ने जिन शर्तों को भाजपा के सामने रखा था, वे आज भी कायम हैं। 95 प्रतिशत बातों को भाजपा ने मान लिया गया है। सिर्फ पांच प्रतिशत ही बाकी है। पेंच सिर्फ एमडीए गठबंधन में शामिल और केंद्रीय मंत्री चाचा पशुपति कुमार पारस को लेकर फंसा है। इन्हें इस गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखाना ही होगा। क्योंकि, इन्होंने न सिर्फ लोजपा को तोड़ा, बल्कि परिवार का भी बंटवारा कर दिया।
2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटी मारी है। इससे गठबंधन का स्वरूप और बड़ा होगा। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आने वाले हैं। लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए का प्रमुख हिस्सा रही है। भाजपा को लगता है कि रामविलास पासवान के बेटे होने की वजह से 6 प्रतिशत पासवान वोटों को चिराग ही एनडीए की झोली में डाल सकते हैं।
राज्य की कुल आबादी में लगभग 16 फीसदी दलित हैं। दलितों में सर्वाधिक संख्या रविदास, मुसहर और पासवान जाति की है। पासवान जाति के वोटों पर लोजपा का दबदबा है। वैशाली, नवादा, जमुई, समस्तीपुर, खगड़िया, गया, औरंगाबाद, नालंदा, सासाराम, बक्सर, जहानाबाद समेत 14 जिलों में पासवान वोटों की संख्या ठीक-ठाक है। हाजीपुर सीट पर सबसे ज्यादा पासवान वोट हैं।