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राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों का मुकाबला करने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत : रक्षा मंत्री

– राजनाथ सिंह ने कहा, नए आयाम उभर रहे, सुरक्षा खतरों का वर्गीकरण करना कठिन

– मजबूत भारत का निर्माण दूसरों की कीमत पर नहीं, बल्कि खुद अपने प्रयासों से होगा

नई दिल्ली, 10 नवम्बर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साइबर हमलों और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों का मुकाबला करने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया है। हाल के दिनों तक सुरक्षा को आम तौर पर दो पहलुओं में देखा जाता था। पहला आंतरिक सुरक्षा और दूसरा बाहरी सुरक्षा। आंतरिक सुरक्षा का अर्थ है हमारी सीमाओं के भीतर सुरक्षा का प्रबंधन और कानून-व्यवस्था का रखरखाव। बाहरी सुरक्षा का मतलब विदेशी ताकतों से हमारी सीमाओं की सुरक्षा है। अब आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की खाई कम होती जा रही है। सुरक्षा खतरों के नए आयाम उभर रहे हैं, जिनका वर्गीकरण करना कठिन होता जा रहा है।

रक्षा मंत्री गुरुवार को नई दिल्ली में 60वें राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज (एनडीसी) पाठ्यक्रम दीक्षांत समारोह के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं के साथ-साथ मित्र देशों के अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की पूरी क्षमता का उपयोग तभी किया जा सकता है, जब उसके हितों की रक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि सभ्यता के फलने-फूलने और समृद्ध होने के लिए सुरक्षा अनिवार्य है। मजबूत और समृद्ध भारत का निर्माण दूसरों की कीमत पर नहीं होगा, बल्कि खुद अपने प्रयासों से होगा। भारत अन्य देशों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास कराने में मदद करने के लिए है, इसलिए हमें सभी के लिए अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन दुनिया की जरूरतों का लगभग एक तिहाई हिस्सा गेहूं और जौ का निर्यात करते हैं, लेकिन इस संघर्ष ने विभिन्न अफ्रीकी और एशियाई देशों में खाद्य संकट पैदा कर दिया। इस संघर्ष ने दुनिया में ऊर्जा संकट को भी जन्म दिया है। यूरोप में तेल और गैस की आपूर्ति घट रही है। भारत भी प्रभावित हुआ है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान पैदा किया, जिससे ऊर्जा आयात बहुत अधिक महंगा हो गया है। असली सवाल यह है कि अगर हमारे सामने इतनी गंभीर सुरक्षा चुनौतियां पैदा हो रही हैं, तो हम उनका मुकाबला कैसे करेंगे।

राजनाथ सिंह ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में सूचना युद्ध की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसमें राजनीतिक स्थिरता को खतरा पैदा करने की क्षमता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए समाज में फेक न्यूज और नफरत फैलाने वाली सामग्री लाए जाने की संभावना का कोई हिसाब नहीं है। ऊर्जा क्षेत्र साइबर हमलों के मुख्य लक्ष्यों में से एक है, लेकिन परिवहन, सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाएं, दूरसंचार और महत्वपूर्ण विनिर्माण उद्योग भी असुरक्षित हैं। हम ऐसे सुरक्षा खतरों का सामना कर रहे हैं, जिनमें साइबर युद्ध और सूचना युद्ध भी शामिल हैं। इसलिए साइबर हमलों और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों का मुकाबला करने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत है।

अपने संबोधन के अंत में रक्षा मंत्री ने सभी कैडेट्स को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए भरोसा जताया कि आप अपने और अपने देशों के लिए बड़ी ख्याति अर्जित करेंगे। ऐसा करके आप इस देश और एनडीसी दोनों को गौरवान्वित करेंगे। दीक्षांत समारोह में 60वें एनडीसी कोर्स (2020 बैच) के अस्सी अधिकारियों को मद्रास विश्वविद्यालय से प्रतिष्ठित एमफिल की डिग्री से सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में एनडीसी के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एमके मागो ने एनडीसी के जीवंत शैक्षणिक वातावरण पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, मद्रास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) एस गौरी और अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

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