गौआधारित खेती से बढ़ती है उत्पादन क्षमता : डॉ. जितेन्द्र सिंह
कानपुर, 09 दिसम्बर। रासायनिक उर्वरकों से कुछ वर्षों तक तो खेतों में बेहतर उत्पादन होता है, लेकिन धीरे धीरे उत्पादन घटने लगता है। इसके साथ ही खेत की मिट्टी भी खराब होने लगती है। ऐसे में किसानों को चाहिये कि गौआधारित खेती का अधिक से अधिक प्रयोग करें। इससे मिट्टी का लाइफ चक्र भी बेहतर रहता है और उत्पादन भी अच्छा होता है। यह बातें शुक्रवार को डॉ. जीतेन्द्र सिंह ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित हजरतपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर दो दिवसीय गौ आधारित प्राकृतिक खेती का कृषि प्रसार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्र के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह ने किया । उन्होंने भूमि की उर्वरा शक्ति के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
प्राकृतिक खेती के नोडल अधिकारी डॉ आशीष श्रीवास्तव ने देसी गाय के मूत्र तथा गोबर से बनाई जाने वाली कीटनाशक दवाओं (नीमस्त्र,दशपर्णी अर्क, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र तथा खाद जीवामृत एवं घन जीवामृत) बनाने उनके प्रयोग, विधि तथा लागत के संबंध में व्याख्यान दिया।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ सुभाष चंद्र तथा डॉ ओंकार सिंह यादव ने देसी गाय के रखरखाव प्रबंधन पर चर्चा की। गृह वैज्ञानिक डॉ आशा यादव द्वारा देसी गाय के दूध द्वारा निर्मित उत्पादों पर विस्तार से जानकारी दी। प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रशिक्षणार्थियों को केंद्र द्वारा प्राकृतिक खेती हेतु गोद लिए गए गांव से सांथी,बनीपूरा, का भ्रमण कराया गया तथा प्राकृतिक खेती आलू ,बैंगन, सरसौं, गेहू आदि का भी कृषकों को अवलोकन कराया गया। इस अवसर पर राजपाल, सचिन सिंह, सोबरन, भूपेंद्र आदि उपस्थित रहे।