दिल्ली

 दिल्ली सरकार ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की फाइल दोबारा एलजी को भेजी

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर। दिल्ली सरकार ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’अभियान की फाइल दोबारा उपराज्यपाल (एलजी) को भेजी है। दिल्ली सरकार ने एलजी को कई साक्ष्य भेजे हैं। ऐसे अभियान भारत के 40 शहरों में चलाये गए हैं। इसके अलावा अमेरिका और लंदन भी शामिल हैं।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सिविल लाइंस में आज अपने आवास पर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो जाती है। ठंड के मौसम हवा कि गति कम होने तथा ठंड बढ़ने के कारण प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। एक अनुमान के मुताबिक एक नवंबर से हवा की गति 4 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है। जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की संभावना है। इसलिए ग्रेप के नए नियमों के अनुसार तीन दिन पहले से ही दिल्ली में ग्रेप के तीसरे चरण को लागू कर दिया गया है। जिसके तहत दिल्ली में निर्माण एवं विध्वसं की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंद्ध लगा दिया गया है।

राय ने कहा कि दिल्ली में वाहन प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान को चलाने के लिए एलजी के पास फाइल भेजी थी। लेकिन एलजी ने इस अभियान को रोकने के लिए कुछ आपत्ति लगाकर फाइल को वापस भेज दिया। हमने उनकी सभी आपत्तियों के उत्तर के साथ फाइल भेज रहे हैं। उनसे निवेदन किया गया है कि दिल्ली में एक इमरजेंसी सिचुएशन बन रही है। प्रदूषण को रोकने के लिए हर प्रयास करने की जरूरत है। इसलिए वे इस अभियान को चलाने की अनुमति प्रदान करें।

राय ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली में वाहन प्रदूषण को रोकने के लिए इलेक्ट्रीक व्हीकल को बढ़ावा दे रही है। वाहनों के प्रदूषण सर्टिफिकेट की गहन चेकिंग की जा रही है। साथ ही अगर हम “रेड लाईट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान को भी प्रारम्भ करते हैं तो वाहन प्रदूषण पर इसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हमने 2020 में इस अभियान को शुरू किया था।

राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर एक और अध्ययन किया गया। दिल्ली में पीसीआरए और पेट्रोलियम संरक्षण साझेदारी के तहत भीकाजी कामा रेडलाईट पर एक अध्ययन किया गया। वहां पर बिना अभियान के जब सर्वे हुआ तो 20 प्रतिशत लोग रेलाईट पर अपना इंजन बंद कर देते थे। जबकि 80 प्रतिशत लोग अपने वाहन का इंजन बंद नहीं करते थे। ऐसे में वहां पर प्लेकार्ड वालेंटियरर्स ने अभियान शुरू किया। अभियान के बाद जब सर्वे किया गया तो पाया गया कि 62.33 प्रतिशत लोगों ने अपनी गाड़ी का इंजन बंद करना शुरू कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि इस अध्ययन के दौरान यह देखा गया कि जागरूकता अभियान से पहले केवल 13.64 फीसदी कार चालकों ने वाहन को रेड लाइट होने पर बंद किया। लेकिन जागरूकता अभियान के दौरान यह 46.45 फीसदी हो गया। इसी तरह दुपहिया वाहन 42.73 फीसदी से बढ़कर 83.72 फीसदी और तिपहिया वाहन 30.49 फीसदी से बढ़कर 81.33 फीसदी हो गए। बसों की संख्या 6.94 फीसदी से 28 फीसदी और ट्रकों की 17.54 फीसदी से 43.02 फीसदी हो गई। इस अभियान के बाद लाल बत्ती पर इंजन बंद करने वाले वाहनों की संख्या पहले की तुलना में अधिक थी।

इस अभियान के समाप्त होने के बाद 33.48 प्रतिशत कार चालकों, 80.12 प्रतिशत दोपहिया, 77.66 प्रतिशत तिपहिया, 20.72 प्रतिशत बसों और 37.43 प्रतिशत ट्रकों ने अपने इंजन बंद कर दिए। वहीं भारत में एचडीएफसी बैंक ने विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच जून 2022 को देश के विभिन्न राज्यों के 40 शहरों के 126 चौराहों पर इस प्रकार का अभियान चलाया था।

राय ने कहा कि शहर भर में अभियान के तहत 100 व्यस्त चौराहों पर रेड लाइट होने पर वाहन को बंद करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 2,500 सिविल डिफेंस वालंटियर्स को तैनात किया जाता है। इससे वाहनों के प्रदूषण को 15-20 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

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