अधमी गांव की पंचायती जमीन का मामला
नियमानुसार बोली ना होने से बीडीपीओ ने पहली बोली रद्द कर दोबारा की सरकारी स्कूल में खुली बोली
ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त को लिखित पत्र भेजकर खुली बोली कराने की लगाई थी गुहार
खुली बोली होने से ग्रामीणों ने मोके पर जमा कराई राशि और डीसी व बीडीपीओ का जताया आभार
बापौली , 1 जून : अधमी गांव के राजकीय मिडल स्कूल में पंचायती जमीन की खुली बोली की गई। जिसमें जमीन के चार प्लांट बनाए गए। जिनमें से चार प्लांटो की बोली हुई, लेकिन पांचवें प्लाट की किसी भी ग्रामीण ने बोली नही दी और उसे सर्वसम्मति से गौशाला के लिए दी गई। पंचायती जमीन की बोली बीडीपीओ पूनम चंदा की देखरेख में विरेन्द्र ग्राम सचिव द्वारा की गई। इस दौरान बडीपीओ पूनम चंदा ने बताया कि पंचायती जमीन के प्लाट न. 1 की बोली 4 लाख 15 हजार रूपए में सूरजभान को, प्लाट न. 2 की बोली 1 लाख 51 हजार पांच सौ रूपए में ईश्वर को, प्लाट न. 3 की बोली 1 लाख 21 हजार रूपए में सुनील को और प्लाट न. 4 की बोली 1 लाख 51 हजार रूपए में सुनील को अधिक बोली दिए जाने पर एक वर्ष के लिए पट्टे पर दी गई है। उन्होने बताया कि इससे पूर्व गांव में उक्त जमीन की बोली की गई थी, जिसकी शिकायत अब्बास, सुखपाल,दलबीर, सुरजभान, रविन्द्र सहित दर्जनों ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त को करते हुए कहा था कि गांव का एक ही व्यक्ति कई वर्षो से गांव की पंचायती जमीन की बोली अपने घर पर ही कर लेता है। जिससें पंचायत को राजस्व की हानि हो रही है। इसलिए उक्त जमीन की खुली बोली कराई जाएं। पूनम चंदा ने बताया कि जिस पर कार्यवाही करते हुए उन्होने पुरानी बोली की राशि समय पर जमा ना करवाने और नियमानुसार बोली ना करने पर उसे रद्द कर दिया, क्योकि विभाग के आदेशानुसार पंचायती जमीन की बोली के लिए 30 प्रतिशत एससी, 10 प्रतिशत बीसी और 10 प्रतिशत सैनिकों के लिए आरक्षित रखा गया है, लेकिन पहले हुई बोली में एससी प्लांट की बोली तो की गई, लेकिन अन्य प्लांटों में नियमानुसार बीसी व सैनिकों को प्लाटो को नही छोडा गया। जिस पर ग्रामीणों ने एतराज जताया था। अब गांव में चौकीदार ना होने से पहले गांव में सफाईकर्मी द्वारा दो दिन मुनादी कराई गई इसके उपरांत बुधवार को राजकीय स्कूल में खुली बोली की गई है। और नियमानुसार बोलीदाताओ से मौके पर ही बोली की राशि जमा कराई गई। इस दौरान उपस्थित सभी ग्रामीणों ने बीडीपीओ पूनम चंदा व जिला उपायुक्त का आभार जताया और कहा कि पहली बार गांव की पंचायती जमीन की खुली बोली हुई।