उत्तर प्रदेश

मौसम में लगातार बदलाव से पैर पसार रहीं डेंगू समेत अन्य मौसमी बीमारियां

डेंगू होने पर क्या करें,कैसे घर पर करें उपचार, चिकित्सक की सलाह

वाराणसी,14 सितम्बर। मौसम के पल-पल बदलते तेवर, कभी तेज धूप तो कभी बारिश,उमस से डेंगू के साथ मौसमी बीमारियों ने भी पांव पसारना शुरू कर दिया है। मानसून का आखिरी दौर ,गंगा और वरुणा नदी में तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ उतरने के बाद जमा गंदगी और सिल्ट से डेंगू ,मलेरिया और मौसमी बीमारियों सेे पीड़ितों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इन सब मौसमी बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है। लोगों को मौसम बीमारियों से बचाव के लिए सतर्क रहने के साथ-साथ खान-पान और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की अपील भी की गई है। डेंगू या अन्य मौसमी बुखार के मरीज घरेलू और आसान तरीकों और बिना डाक्टरी पर्चे के उपलब्ध दवाओं से भी अपना खयाल रख सकते हैं। मौसमी बुखार से पीड़ित होने पर .कम से कम पांच दिन या बुखार पूरा उतरने के 2 दिन बाद तक पूर्ण आराम पीड़ितों को करना चाहिए। ककरमत्ता पटिया मार्ग स्थित जेपी हॉस्पिटल के वरिष्ठ सर्जन डाॅ अजय गुप्ता बताते हैं कि पीड़ित को कोई भी तरल, हल्का मीठा या हल्का नमकीन द्रव्य बड़ों के लिए 2-3 गिलास और उतना ही एमएल प्रति घंटे,बड़ों के लिए 1/2 गिलास, बच्चों के लिए 1/4 गिलास, जैसे ग्लूकोज या इलेक्ट्रॉल मिला पानी, दाल का पानी, नमकीन छाछ, पतली लस्सी, सादा पानी इत्यादि प्यास लगी हो या न लगी हो फिर भी लें। बड़ों के लिए 1 पैकेट इलेक्ट्रॉल 1 लीटर पानी में घोल के 7-8 घंटे में लेना सबसे बेहतर रहेगा। इतना तरल लें कि हर 1-2 घंटे पर 1 बार पेशाब जाना पड़े और उजला पेशाब हो। शुगर के मरीज जब तक शुगर 100 के नीचे न हो, मीठे द्रव्य न लें। इसके अलावा फोलिक एसिड समृद्ध कच्चे हरे सब्जियां और फल जैसे खीरा, ककड़ी, सलाद पत्ता और विटामिन सी समृद्ध फल जैसे नींबू, मुसम्मी, संतरा, कीनू, टमाटर इत्यादि अधिक लें। जूस की जगह समूचा फल लें।

-बुखार शुरू होने पर क्या करें

.बुखार शुरू होने से अगले एक सप्ताह तक मरीज के हथेली के साइज के बराबर के पपीते के पत्ते महीन काट के बिन चबाये 2-3 बारएक गिलास छाछ या लस्सी के साथ सुबह शाम लें। बुखार शुरू होते ही अधिक से अधिक देह खुला रखते हुए एक् रुमाल जैसे छोटे कपड़े को सादे पानी मे भिगो कर बुखार उतरने तक पूरा बदन पोंछते रहें। पैरासीटामाल की एक गोली 1 गिलास पानी के साथ ले लें। इसे हर 4-6 घंटे पर दुबारा ले सकते हैं। बुखार की पानी में घुल जाने वाली गोलियां मिनटों में असर शुरू करती हैं। ये न मिलें तो आप त्वरित असर हेतु इनके सिरप या 1 गोली को कूच कर 1 ग्लास पानी या छाछ में घोल के भी ले सकते हैं। इसके अलावा अलावा विटामिन सी की 1 चूसने वाली गोली एवं कोई भी फोलिक एसिड वाली मल्टीविटामिन की गोली रोज 1 बार या सुबह शाम ,डाईजिन की एक-एक गोली तीन-चार बार चूसे।

-लैब में कराये जांच

डाॅ अजय गुप्ता बताते है कि .बुखार शुरू होने वाले दिन ही आसपास किसी लैब में सीबीसी,डेंगू, एवं टाइफीडोट, मलेरिया की जांच करा लें। आप टाटा 1एमजी से भी 800रु में होने वाली बुखार प्रोफ़ाइल जांच के लिए और दवाइयों या थर्मामीटर या बीपी मशीन के लिए भी किसी को घर बुला सकते हैं। यदि मलेरिया या टाइफीडोट,पॉजिटिव आता है तो नजदीकीै चिकित्सक को दिखाएं। 50 साल पुराना और अक्सर गलत पॉजिटिव आने वाले वाइडल टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर न परेशान हों। इसी तरह गले में खराश या खांसी भी साथ होने पर नमक गरम पानी से गरारे करें। स्ट्रेप्सिल्स या सुआलीन जैसी गोलियां चूसें और हमेशा मास्क लगा कर ही थोड़े खुले एरिया में रहें। यह हल्का फुल्का कोविड हो सकता है। नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर निशुल्क आरटीपीसीआर ,सीबीएनएटी जांच करायें। 1-1 दिन छोड़ कर आपको मैनुअल प्लेटलेट काउंट या जीबीपी जांच करानी चाहिए और 50 हज़ार से कम मैनुअल ऑटोमेटेड नहीं प्लेटलेट काउंट आने पर नजदीकी डॉक्टर या स्वास्थ्य केंद्र में जाकर दिखाना चाहिए। डाॅ अजय बताते है कि पीड़ित नियमित कम से कम 2 बार अपना ब्लड प्रेशर अवश्य नापें। बीपी मरीज अपनी बीपी की दवा की खुराक चौथाई घटा या बढ़ा कर अपना सिस्टोलिक ऊपर वाला बीपी 140 एमएम के आसपास रखें। एसप्रिरीन क्लोपिदोग्रेल वाली दवाई बंद कर दें। शुगर के मरीज भी बुखार उतरने तक रोज अपना शुगर की जांच करें। और उसके अनुरूप अपना दवा या इन्सुलिन 25ः फीसद कम ज्यादा करके रोज का सुबह का खाली पेट वाला शुगर 125 के आसपास रखें।

-50 हज़ार से ऊपर मैनुअल प्लेटलेट काउंट रहने पर न घबराएं।

शरीर में चुनचुनाहट शुरू होने पर राहत की सांस लें। यह वायरल बुखार खासकर डेंगू से रिकवरी का लक्षण है। चुनचुनी ज्यादा होने पर आप लेक्टोकैलामिन लोशन लगा सकते हैं ।अस्पताल में भर्ती की नौबत आने पर मरीज के ब्लड ग्रुप के 1-2 परिजन हमेशा अपनी प्लेटलेट देने हेतु उसके पास रहें।

-खतरे के लक्षण

खतरे का लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल ले जाएं यदि शरीर पर लाल चकत्ते उभरने शुरू हों।

कलाई की नब्ज न महसूस हो या हाथ-पैर ठंडे लगें। अत्यधिक चक्कर या बेहोशी महसूस हो । पेशाब 4-5 घंटे में भी एक बार न हो ।

काला पाखाना या लाल पेशाब हो। ऊपर के सभी उपाय करने के बाद भी यदि बुखार न उतरे। बैठे-बैठे हांफने या सांस फूलने पर मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचाएं।

डेंगू मलेरिया से बचाव के लिए क्या करें उपाय

हमेशा पूरी बांह और पैर ढकने वाले वस्त्र पहनें,.कहीं भी गंदा पानी न इकट्ठे होने दें। कूलरों की टंकी हमेशा खाली रखें और हर 2-3 दिन में उनमें एक चम्मच पाॅच एमएल कोई भी तेल डाल दें। 24 घंटे अपने आसपास ऑल आउट या गुड नाइट चला कर रखें। जिन खिड़कियों में जाली नहीं हैं, उनको बंद रखें। हमेशा मच्छरदानी लगाकर ही सोएं।

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