धर्मेन्द्र प्रधान ने नए ज्ञान नेटवर्क का किया आह्वान
नई दिल्ली, 27 सितंबर। केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय और वैश्विक संस्थानों के बीच तालमेल बनाकर एक नए ज्ञान नेटवर्क का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थान भारत में कैंपस स्थापित कर रहे हैं और भारतीय संस्थान भी वैश्विक हो रहे हैं।
प्रधान मंगलवार को यहां टीसीएस के सहयोग से डीकिन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एण्ड इंटरनेशनलाइजेशन ऑफ हायर एजुकेशन” पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। प्रधान ने कहा कि भारत ने हमेशा समाज को ज्ञान से समृद्ध किया है। निरंतर विकसित होती दुनिया में, भारतीय ज्ञान नेटवर्क मानवता के लाभ के लिए होगा।
प्रधान ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया साझा मूल्यों पर आधारित लंबे संबंध साझा करते हैं। शिक्षा और कौशल के क्षेत्रों में हमारी भागीदारी मजबूत होती जा रही है। भारत औद्योगिक क्रांति 4.0 का नेतृत्व करने की इच्छा रखता है। इस यात्रा में भारत-ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी अहम भूमिका निभा सकती है।
प्रधान ने कहा कि ज्ञान किसी भी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भारतीय सभ्यता हमेशा से ज्ञान आधारित और ज्ञान पर चलने वाली रही है। इसे आगे बढ़ाते हुए, भारत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू कर रहा है। आज चुनौती 15-25 आयु वर्ग की विशाल आबादी को शिक्षित और कुशल बनाने की है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में एक नया “डिजिटल लाइफस्टाइल” आकार ले रहा है। 2023 के अंत तक डिजिटल भुगतान में स्वदेशी 5जी से लेकर विश्व नेतृत्व तक, आगामी डिजिटल विश्वविद्यालय और हाई-स्पीड इंटरनेट के साथ सभी गांवों की नेटवर्किंग, भारत का डिजिटलीकरण नए अवसर पैदा कर रहा है।
इस अवसर पर डीकिन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. इयान मार्टिन, ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के सुब्रमण्यम रामादुरई, संस्थापक वीसी प्रो. सी राजकुमार, मैथ्यू जॉनसन और भारत और ऑस्ट्रेलिया के अन्य विचारशील नेता उपस्थित रहे।