बिहार

दृढ़ ध्यानाभ्यास से ही सम्भव है मोक्ष की प्राप्ति: डा स्वामी विवेकानंद

नवादा ,30 अक्टूबर। प्रकृति की गोद में स्थित पूज्यपाद स्वामी नित्यानंद जी महाराज साधना स्थली महर्षि संतसेवी ध्यानयोग आश्रम धनावां में स्वामी शांतानंद जी महाराज के सानिध्य में १से ३० अक्टूबर तक चल रहे मास ध्यान साधना शिविर का रविवार को समापन किया गया। महर्षि मेंहीं आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर सिद्धपीठ से पधारे संतमत सत्संग के वरिष्ठ महात्मा मुख्य अतिथि डा स्वामी विवेकानंद जी महाराज के सानिध्य में धूमधाम से समापन समारोह संपन्न हो गया।

अपराह्न कालीन सत्संग के मौके पर कुप्पाघाट भागलपुर सिद्धपीठ से पधारे मुख्य अतिथि महात्मा डा स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने कहा कि ध्यान साधना शिविर महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के द्वारा संचालित है। आधुनिक समाज में हर मानव अशांत दु:खी एवं खिन्न है।आज समाज में लड़ाई झगड़ा मारपीट ,दंगा,फसाद झीन झपट और वेईमानी का बोलबाला है।लोग धर्म को छोड़ कर अधर्म की ओर आरुढ है।अधर्म को ही लोगों ने जीवन मान लिया है।ऐसी परिस्थिति में महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज दुनिया दिनदशा को देखकर ध्यान साधना एवं सत्संग का आयोजन करवाया।ताकि लोग धर्म और जीवन के लक्ष्य को समझ सके और अपने मंजिल मोक्ष की प्राप्ति कर सके।

महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के परम शिष्य स्वामी नित्यानंद जी महाराज ने गुरु महाराज की इस बात को स्वीकार कर इस निर्जन शांत एकांत स्थान धनावां आश्रम एक भव्य सत्संग मंदिर एवं ध्यान प्रशाल का निर्माण किया।ताकि समाज को सत्संग ध्यान सदाचार, शिष्टाचार से अवगत करा सके।इसी प्रयास को स्वामी शांतानंद जी महाराज करने में प्रयत्नशील है।

आश्रम संचालक स्वामी शांतानंद जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन का लक्ष्य समाज की सेवा करते हुए परमात्मा की भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करनी है।इसके लिए ईश्वर की भक्ति के लिए संत सद्गुरु से सद्युक्ति जानकर कर साधना करने की आवश्यकता है।इसके लिए धनावां आश्रम उपयुक्त स्थान है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए स्वामी नित्यानंद जी महाराज ने प्रकृति की गोद में अवस्थित धनावां आश्रम की स्थापना सन २००० ई. में किया। साल में दो महीने अप्रैल और अक्टूबर नि:शुल्क साधना शिविर का आयोजन होता आ रहा है।

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