राष्ट्रीय

ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दुत्वादी साजिश का शिकारः इमाम्स काउंसिल

– फव्वारे को जबरदस्ती शिवलिंग बताने को बताया मूर्खता

नई दिल्ली, 19 मई । देशभर की मस्जिदों के इमामों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अहमद बेग नदवी ने नई दिल्ली के ओखला में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे और वजूखाने को सील किए जाने का आदेश उचित नहीं है। अदालत का यह आदेश किसी भी सूरत में मुसलमानों को स्वीकार नहीं है। उनका कहना है कि मस्जिद का निर्माण शाहाने शर्की के शासनकाल में हुआ था। औरंगजेब पर विश्वनाथ मंदिर को गिराने और यहां पर मस्जिद बनाने का आरोप पूरी तरह से निराधार और झूठा है।

अहमद बेग नदवी ने कहा कि ज्ञानवापी एक मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी। मुसलमान असंवैधानिक सर्वे के आधार पर वजूखाने को सील करने के हुक्म को कबूल नहीं करेंगें क्योंकि ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि 1937 में दीन मुहम्मद बनाम राज्य सचिवालय के मामले में अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों के प्रकाश में यह फैसला किया था कि पूरा परिसर मुस्लिम वक्फ का है और मुसलमानों को इसमें नमाज़ पढ़ने का अधिकार है। साथ ही तय किया गया कि वजूखाना मुसलमानों की मिलकियत है।

देश के विभाजन के समय 15 अगस्त, 1947 को यह निर्णय लिया गया था कि सभी धर्मों के पूजा स्थलों को बरकरार रखा जाएगा और इसमें कोई संशोधन नहीं किया जाएगा। संसद द्वारा पारित कानून पूजा स्थल अधिनियम-1991 के अनुसार अदालत को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन फासीवादी शक्तियों के हस्तक्षेप के लिए उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने के बजाए सर्वेक्षण और फिर वजूखाने को बंद कर दिया गया। ऐसा करने का आदेश देना न्यायालय का बहुत ही अनुचित कदम है, जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

अहमद बेग नदवी ने यह भी कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों की इस साजिश को विफल करने, देश को नफरत की आग से बचाने, बाबरी विध्वंस जैसे इतिहास को दोहराने से रोकना देश के धर्मनिरपेक्ष सोच वाले नागरिकों की जिम्मेदारी है। समस्या केवल मुसलमानों की नहीं बल्कि देश के संविधान में विश्वास करने वाले धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों की भी है। फव्वारे को शिवलिंग बताना बहुत बड़ी मूर्खता है। इस तरह के फव्वारे सभी प्राचीन मस्जिदों के हौज में मिल जाएंगे। हैरानी की बात यह है कि अदालत के फैसले ने एक बार फिर न्याय और जनता के विश्वास को कम कर दिया है। इसलिए केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस फैसले को तुरंत लागू होने से रोके। यदि यह निर्णय लागू होता है तो आल इंडिया इमाम्स काउंसिल इस अन्याय के खिलाफ देश भर में लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करेगी। ज्ञानवापी मस्जिद को न्याय दिलाने के लिए सभी स्तरों पर कानूनी कार्रवाई करेगी।इमाम्स काउंसिल सभी न्याय और शांतिप्रिय नागरिकों के साथ-साथ मुसलमानों से अपील करती है कि वे लोकतांत्रिक तरीके से अपने पूजा स्थलों की रक्षा करने में पीछे न रहें।

संवाददाता सम्मेलन को राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अहमद बेग नदवी, राष्ट्रीय सचिव मीनार शेख, सचिव मौलाना अब्दुल समद नदवी, कारी यामीन, दिल्ली जोन के अध्यक्ष मौलाना इरशाद कासमी आदि ने भी संबोधित किया।

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