मनुष्य के दिल में धर्म ,दया आ जाए तो दरिद्रता अपने आप ही दूर होती जाएगी : गुप्ति सागर
गुप्तिधाम में चातुर्मास के दौरान प्रवचन करते गुप्ति सागर महाराज।
गन्नौर। धर्म दिखावे कि नही धारण करने की जरूरत है जिसने धर्म को शरण लिया उसने अपने जीवन का उद्धार कर लिया। जब मनुष्य के दिल में धर्म आ जाए दया आ जाए तो दरिद्रता अपने आप ही दूर होती चली जाती है। न क्रोध रहता है ना ही किसी से ईर्ष्या रहती है। यह बातें गुप्तिधाम में आयोजित धर्म सभा में गुप्ति सागर मुनि महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि नैतिकता धर्म की बुनियाद है। धार्मिक होने के लिए लिए नैतिक होना पहली शर्त है। अधर्म और अनीति सदैव साथ चलते हैं। धर्म तो नैतिकता के बिना कभी प्रगति नहीं करता। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि लोग रात-दिन धर्म-उपासना के लिए भागदौड़ करते हैं, लेकिन नैतिक बनने या नैतिक रहने की भी चिंता नहीं करते। नैतिकता के बिना जीवन की सुचिता संभव नहीं है। फिर धर्म मनुष्य के लिए कैसे कल्याणकारी बन सकता है। मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारे चमत्कारों के लिए नहीं, पशुता छोड़कर मानवता की शिक्षाएं ग्रहण करने के लिए हैं। अफसोस है कि आज आज का इंसान यह समझ नहीं पा रहा कि पाए हुए धन के बजाय कमाया हुआ धन महत्वपूर्ण और स्थाई होता है। उन्होंने कहा कि मां बाप की सेवा से बढकर कोई सेवा नहीं, जो इंसान अपने मां बाप की निस्वार्थ सेवा करता है, उन्हें किसी मंदिर मस्जिद या किसी तीर्थ स्थान पर जाने की जरूरत नही उसका घर ही तीर्थ समान है मां बाप की सेवा करने वाले को कभी किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नही लक्ष्मी खुद उसके यहां चल कर आती है। इस दौरान सभा मे काफी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं उपस्थित थे ।