भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं मानव जीवन के लिए है प्रेरणादायक : सियाराम शरण
– भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया को प्रकृति प्रेम और पर्यावरण रक्षा का दिया है संदेश
– सेक्टर-15 स्थित जागृति धाम मंदिर में श्रीमद्भागवत ज्ञान महायज्ञ हो रहा भव्य आयोजन
सोनीपत, 23 सितंबर। शहर के सेक्टर-15 स्थित जागृति धाम मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान महायज्ञ के छठे दिन शुक्रवार को वृंदावन से पहुंचे कथावाचक स्वामी सियाराम शरण जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की अद्भुत लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक है। भगवान श्री कृष्ण बचपन में अनेक लीलाएं करते हुए सभी का मन मोह लिया करते थे। उन्होंने कहा कि भगवान की शुद्ध भाव से भक्ति करनी चाहिए। कथा में भगवान श्रीकृष्ण के नटखट बालस्वरूप की सजाई गई सजीव झांकी ने सभी का मन मोह लिया । कथावाचक स्वामी सियाराम शरण जी महाराज के प्रवचन सुनकर श्रद्धालुगण भाव-विभोर नजर आये । संगीतमय कथा के साथ ही बिहारी शरण दास जी महाराज के भजन सुनकर श्रद्धालुगण भक्ति रस से सराबोर नजर आए । इस अवसर पर श्री राम कृष्ण साधना केंद्र, मुरथल के संस्थापक स्वामी दयानंद यति जी महाराज विशेष रूप से उपस्थित रहे । कथा के आयोजक महावीर गर्ग, विश्व हिन्दू परिषद के जिला उपाध्यक्ष पवन गर्ग, जिला महामंत्री सुभाष गुप्ता, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रेखा गर्ग, भाजपा के जींद जिला विस्तारक सुशील बाल्यान, निगम पार्षद सुरेंद्र मदान, सुदेश गर्ग, राजेंद्र गर्ग, बिजेंद्र गर्ग, आरके कुच्छल सहित कई गणमान्य लोग भी इस मौके पर मौजूद थे ।
स्वामी सियाराम शरण जी महाराज ने कहा कि देवराज इंद्र के अहंकार को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में उनकी पूजा बंद करवा दी और गिरिराज की पूजा करवाई। जिससे इंद्र कुपित होकर ब्रजमंडल पर मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। तब श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर गिरिराज पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया को प्रकृति प्रेम और पर्यावरण रक्षा का संदेश दिया। उनकी बाल लीलाओं से लेकर गोवर्धन लीला में प्रकृति के संरक्षण का संदेश छिपा है। पशु-पक्षी, गौवंश वन और यमुना की शुद्धता के लिए भगवान ने कालिया मर्दन की लीला की। भगवान ने गोवर्धन लीला से गिरिराज गोवर्धन की महत्ता की स्थापना की । गोवर्धन पूजन असल में प्रकृति पूजन है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर धर्म और सत्य की पुन: स्थापना के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में अवतार लिया। जब वे छह दिन के थे, तब उन्होंने सुंदर नारी बनकर आई पूतना राक्षसी का उद्धार किया था। स्वामी सियाराम शरण जी महाराज ने बाल कथाओं का वर्णन करते हुए बकासुर वध और ताड़का वध के प्रसंग को भी सुनाया । उन्होंने कहा कि छोटी आयु में ही श्रीकृष्ण गाय चराने की जिद करते हैं। भगवान की यह लीला हमें गो सेवा की प्रेरणा देती है। कथा के अंत में गोवर्धन की विधिवत पूजा अर्चना की गई और छप्पन प्रकार के भोग लगाए गए।