राष्ट्रीय

 मणिपुर संगाई महोत्सव मणिपुर के लोगों की भावना और जुनून को दर्शाता है : प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 30 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को वीडियो संदेश के माध्यम से मणिपुर संगई महोत्सव को संबोधित किया। राज्य के सबसे भव्य त्योहारों में शुमार मणिपुर संगई महोत्सव मणिपुर को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने में मदद करता है। इस उत्सव का नाम राजकीय पशु, संगाई के नाम पर रखा गया है, जो केवल मणिपुर में पाया जाने वाला हिरन है।

मणिपुर संगाई महोत्सव को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर संगाई महोत्सव के सफल आयोजन के लिए मणिपुर के लोगों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है और बड़े पैमाने पर व्यवस्थाओं पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने इस उत्सव के आयोजन के लिए मणिपुर सरकार और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के प्रयासों और व्यापक दृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि ये मणिपुर के लोगों की भावना और जुनून को दिखाता है।

मणिपुर की प्रचुर प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कोई कम से कम एक बार यहां जरूर आना चाहता है। मणिपुर की तुलना विभिन्न रत्नों से बनी एक सुंदर माला से करते हुए कहा कि मणिपुर बिल्कुल एक सुंदर माला की तरह है जहां राज्य में एक मिनी भारत देखा जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने अमृत काल में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। संगाई महोत्सव की थीम ‘फेस्टिवल ऑफ वननेस’ (एकता का त्योहार) पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस उत्सव का सफल आयोजन आने वाले दिनों में राष्ट्र के लिए ऊर्जा और प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “संगाई न केवल मणिपुर का राजकीय पशु है, बल्कि भारत की आस्था और विश्वास में भी इसका विशेष स्थान है। संगाई महोत्सव भारत की जैव विविधता का भी जश्न मनाता है।” उन्होंने आगे कहा कि यह प्रकृति के साथ भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का जश्न भी मनाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि त्योहार एक स्थायी जीवन शैली के प्रति अपरिहार्य सामाजिक संवेदनशीलता को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा, “जब हम प्रकृति, जानवरों और पौधों को अपने त्योहारों और समारोहों का हिस्सा बनाते हैं, तो सह-अस्तित्व हमारे जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा बन जाता है।”

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि संगाई महोत्सव का आयोजन न केवल राज्य की राजधानी में बल्कि पूरे राज्य में किया जा रहा है, जिससे ‘एकता के त्योहार’ की भावना का विस्तार हो रहा है। मोदी ने बताया कि नागालैंड सीमा से म्यांमार सीमा तक लगभग 14 स्थानों पर त्योहार के अलग-अलग मूड और रंग देखे जा सकते हैं। उन्होंने सराहनीय पहल की सराहना करते हुए कहा, “जब हम इस तरह के आयोजनों को ज्यादा से ज्यादा लोगों से जोड़ते हैं, तभी इसकी पूरी क्षमता सामने आती है।”

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने देश में त्योहारों और मेलों की सदियों पुरानी परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि इनके जरिए न केवल हमारी संस्कृति समृद्ध होती है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी ताकत मिलती है। उन्होंने कहा कि संगाई महोत्सव जैसे आयोजन निवेशकों और उद्योगों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में यह पर्व राज्य में उल्लास और विकास का सशक्त माध्यम बनेगा।”

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