अपने अतीत को जानने के लिए पाण्डुलिपियां आवश्यक : कुलपति
-राजकीय पांडुलिपि लाइब्रेरी के सहयोग से दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी
प्रयागराज, 21 नवम्बर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीत श्रीवास्तव ने सोमवार को सीएमपी महाविद्यालय में दुर्लभ पांडुलिपियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि अपने अतीत को जानने के लिये पाण्डुलिपियां आवश्यक हैं। पाण्डुलिपियां अतीत को वर्तमान से जोड़ती हैं।
राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय, संस्कृति विभाग, प्रयागराज एवं प्राचीन इतिहास विभाग सीएमपी डिग्री कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में ‘पाण्डुलिपियों में प्रयाग इलाहाबाद’ विषयक पाण्डुलिपि प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के उपरान्त उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर को यह समझने में परेशानी होती है कि होमोसेपियंस कैसे बात करते हैं, महसूस करते हैं और सपने देखते हैं। इसलिए हम अंकों की भाषा में महसूस करने और सपने देखने के प्रयास करते हैं। जिसे कम्प्यूटर समझ सकते हैं। अंततः कम्प्यूटर मनुष्यों को उसी क्षेत्र में मात दे सकते हैं, जिसने होमोसैपियंस को दुनिया का शासक बनाया ‘बुद्धि और संचार’।
समारोह की अध्यक्षता चौधरी जितेंद्र सिंह ने किया। कहा कि दुर्लभ पाण्डुलिपि प्रदर्शनी का आयोजन अत्यन्त सराहनीय है। एडीजी प्रयागराज प्रेम प्रकाश ने कहा कि पाण्डुलिपियों की एक निश्चित आयु है। इन पाण्डुलिपियों का सम्यक संरक्षण आवश्यक है। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अजय खरे ने कहा कि महा विद्यालय के प्रांगण में आयोजित इस दुर्लभ पाण्डुलिपि प्रदर्शनी से छात्र-छात्राओं को अत्यन्त लाभ होगा।
कार्यक्रम में पाण्डुलिपि अधिकारी गुलाम सरवर, हरिश्चन्द्र दुबे, डॉ शाकिरा तलत, विकास यादव’, अजय कुमार, मो. शफीक तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पीआरओ डॉ जया कपूर, प्रॉक्टर प्रो हर्ष कुमार सहित अन्य महाविद्यालय से आये शिक्षक प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।