आंसू और आग का संगम थी मीराबाई : साध्वी शीतल भारती
बेगूसराय, 24 नवम्बर। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा बेगूसराय सदर प्रखंड के शाहपुर में आयोजित श्रीहरि कथा के चौथे दिन गुरुवार को कथावाचिका साध्वी शीतल भारती ने कहा कि नारियों के दर्द की मूकवाणी थी मीराबाई, वह वास्तव में आंसू और आग का संगम थी। उन्होंने ना केवल भक्ति के पराकाष्ठा को प्राप्त किया था, बल्कि अपने सानिध्य में आने वाले लोगों को भी भक्ति के वास्तविक रहस्य से अवगत कराई थी।
आशुतोष जी महाराज की शिष्या साध्वी शीतल ने कहा कि मीराबाई एक क्रांतिकारी समाज सेविका, पाखंडों की खंडन करती एक समर्पित शिष्या भी थी। उन्होंने समर्पित भाव से मूर्ति के द्वारा ही प्रभु श्री कृष्ण को प्राप्त कर ली थी। संत रविदास जी की शरणागति में जाकर मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण को वास्तविक रूप में जानकर अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर हो गई। सही मायने में भगवान का मिलना कठिन नहीं है, कठिन है तो ऐसे पूर्ण संत का मिलना, जिसने स्वयं ईश्वर का दर्शन किया हो और दर्शन कराने का सामर्थ्य रखता हो।