राष्ट्रीय

 नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस लोकतंत्र की मूल भावना को करेगा मजबूत- सुमित्रा महाजन

नई दिल्ली, 07 नवंबर ।नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस की रूपरेखा तय करने के लिए सोमवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राउंड टेबल विचार विर्मश किया गया। यह संगोष्ठी इस मामले में ऐतिहासिक थी की पहली बार विभिन्न दलों के नेता एक मंच पर ऐसे किसी मुद्दे पर फ्रेमवर्क या रूपरेखा बनाने के लिए एकत्रित हुए जो आने वाले समय में लेजिस्लेटर्स के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बनने वाला है।

लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन, मीरा कुमार और शिवराज पाटील इस नेशनल लेजिस्लेटर्स कॉन्फ्रेंस के संरक्षक हैं। उन्होंने इस राउंड टेबल संगोष्ठी में हिस्सा लेते हुए इसके महत्वपूर्ण बिंदुओं को सामने रखा। यह संगोष्ठी 16 से 18 जून 2023 के बीच मुंबई महाराष्ट्र में आयोजित की जाने वाली है। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि आने वाला नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह कॉन्फ्रेंस एक ताकतवर फोरम के रूप में सामने आएगा जो कुशल प्रशासन को लेकर लोगों के सामने उदाहरण बनेगा। यह प्रधानमंत्री के मंत्र “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफार्म” को भी साकार करेगा। यह देश भर के विधायकों के सामने एक ऐसा मंच प्रस्तुत करेगा, जहां वह आकर अपनी बेस्ट प्रैक्टिस को एक दूसरे के साथ साझा करेंगे। इसके अलावा एक दूसरे के बेहतर कार्यों से प्रेरित होने व सीखने का भी कार्य करेंगे। यह लोकतंत्र की इस मूल भावना को भी मजबूत करेगा।

इस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न राज्यों के 15 से अधिक स्पीकर और चेयरपर्सन हिस्सा लेंगे। इनमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश , पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार और हरियाणा राज्य शामिल है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के पूर्व महासचिवों के अलावा कई अन्य वरिष्ठ नौकरशाह और एक्सपर्ट भी राष्ट्र निर्माण और कुशल प्रशासन को लेकर अपने अनुभव साझा करेंगे। नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस को कई संस्थाएं मिलकर आयोजित कर रही हैं। इनमें विधायी क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं के अलावा गैर सरकारी संस्थान और सामाजिक संगठन शामिल हैं. इन्हें एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट पुणे का सक्रिय सहयोग हासिल हो रहा है. नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस ” कॉमनवेल्थ पार्लिमेंट एसोसिएशन, इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन और यूनेस्को ” से भी इसके आयोजन के लिए सहयोग की आकांक्षा कर रही है। विभिन्न दलों से संबंध रखने वाले लगभग 4000 से अधिक प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेंगे।

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