राष्ट्रीय

जिज्ञासा और जिद, विज्ञान की जननी: शिवराज

भोपाल, 21 जनवरी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जिज्ञासा और जिद, विज्ञान की जननी है। विज्ञान को प्रौद्योगिकी की जननी माना जाता है, पर जिज्ञासा तो विज्ञान की भी जननी है। हमारा यह लक्ष्य होना चाहिए कि हम अपनी अधिक से अधिक ऊर्जा जन-मानस में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जागृत करने में लगायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिज्ञासा और जिद के इसी फार्मूले को ध्यान में रख कर प्रदेश में विज्ञान तकनीक और नवाचार नीति-2022 लागू की गई है।

मुख्यमंत्री चौहान शनिवार को आठवें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच और समझ को दैनिक जीवन का अंग बनाना, सरकार और समाज में आधुनिक तकनीकों का अधिक से अधिक उपयोग तथा नया सोचने, नया सीखने और नई पहल करने वाली पीढ़ी के निर्माण के तीन बिन्दु हमारी नीति का आधार हैं। प्रदेश में स्टार्टअप के लिए श्रेष्ठतम ईको सिस्टम विद्यमान है।

भोपाल के मेनिट में शुरू हुए महोत्सव में केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह, प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, केन्द्रीय प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद, केन्द्रीय जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव डॉ. राजेश गोखले, पृथ्वी मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन, विज्ञान भारती के महासचिव प्रो. सुधीर भदौरिया, महानिदेशक सी.एस.आई डॉ. एन. कलईसेल्वी और प्रदेश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी निकुंज श्रीवास्तव विशेष रूप से उपस्थित थे। यह चार दिवसीय महोत्सव 24 जनवरी तक चलेगा। इसमें 15 क्षेत्रों में गतिविधियां होंगी, जिनमें विद्यार्थी, युवा वैज्ञानिक, स्टार्टअप से जुड़ी गतिविधियां प्रमुख हैं।

डिजिटल प्रस्तुतिकरण द्वारा हुआ कार्यक्रम के लक्ष्यों का प्रदर्शन

महोत्सव में डिजिटल प्रस्तुतिकरण द्वारा कार्यक्रम के लक्ष्यों का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शैक्षणिक फेकल्टी, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री चौहान और केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. सिंह ने महोत्सव स्थल पर लगी प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा विज्ञान महोत्सव के 21 जनवरी के न्यूज बुलेटिन का विमोचन भी किया।

पूर्णत: वैज्ञानिक है प्रधानमंत्री मोदी की सोच

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आरंभ से ही भारत की सोच वैज्ञानिक रही है। हजारों वर्षों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत आगे रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की इन क्षमताओं का प्रकटीकरण हुआ है। इसमें विज्ञान और तकनीकी की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने सही दिशा प्रदान की है। संपूर्ण विश्व स्वीकारता है कि प्रधानमंत्री मोदी की सोच पूरी तरह वैज्ञानिक है।

विज्ञान को जन-जन से जोड़ना कार्यक्रम का उद्देश्य

केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि विज्ञान को जन-जन से जोड़ने के उद्देश्य से ही यह कार्यक्रम उत्सव के रूप में किया गया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार से ही वर्ष 2047 के भारत की तस्वीर निर्धारित होगी। हमें इस क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विज्ञान के अध्ययन और शोध की व्यवस्था को सरल एवं तर्कसंगत बनाया है। इससे युवाओं के लिए नए अवसर सृजित हुए हैं और देश के विकास की गति तेज हुई है। मध्य प्रदेश में कृषि, बाँस तथा “वेस्ट-टू-वेल्थ” के क्षेत्र में गतिविधियों की बहुत अधिक संभावनाएँ हैं।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य की ओर अग्रसर

प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि प्रदेश की विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति-2022 के क्रियान्वयन से वैज्ञानिक शोध और नवाचार को गति तथा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। हम आत्म-निर्भर मध्य प्रदेश के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।

वैज्ञानिक जीवन जीने के तरीकों का उत्सव है विज्ञान महोत्सव

केन्द्रीय प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय सूद ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव वैज्ञानिक सोच, वैज्ञानिक व्यवहार और वैज्ञानिक जीवन जीने के तरीकों का उत्सव है। विज्ञान की अपनी निरंतरता है। प्रधानमंत्री मोदी के वर्ष 2070 तक कार्बन नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम सबको प्रयास करने होंगे। ग्रीन हाइड्रोजन, सेमी कंडक्टर और क्वांटम टेक्नालॉजी भविष्य के क्षेत्र हैं। प्रो. सूद ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जिम्मेदारी पूर्ण उपयोग के लिए भी सतर्क किया।

विज्ञान देश के जन-जन में समाहित हो

विज्ञान भारती के महासचिव प्रो. सुधीर भदौरिया ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि विज्ञान देश के जन-जन में समाहित हो और देश को नई दृष्टि मिले। भारत की एक निश्चित विज्ञान परंपरा रही है। योग, आयुर्वेद से लेकर आर्किटेक्चर और एस्ट्रोनॉमी तक में हमें निरंतरता मिलती है। प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प के अनुरूप देश वैज्ञानिक उपलब्धियों की दिशा में अग्रसर हो रहा है।

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