बहुधुर्वीय विश्व एक हकीकत, जरूरत यह की एशिया भी बने बहुधुर्वीय – जयशंकर
नई दिल्ली, 18 अगस्त विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज की दुनिया में बहुधुर्वीय विश्व व्यवस्था एक हकीकत बन रही है जिसके लिए जरूरी है कि एशिया भी बहुधुर्वीय बने।
थाईलैंड की यात्रा पर गए जयशंकर ने चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय में ‘हिन्द-प्रशांत पर भारत के दृष्टिकोण’ पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की सहभागिता वाला क्वाड मंच हिन्द-प्रशांत क्षेत्र का एक सबसे महत्वपूर्ण मंच है।
चीन का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जो देश अपना अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहते हैं, वह अन्य देशों को मित्र और सहयोगियों का चुनाव करने से रोकने की कोशिश करते हैं। इस मामले में किसी को वीटो का अधिकार नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केन्द्रीय भूमिका का भारत समर्थन करता है।
जयशंकर ने कहा कि हिन्द-प्रशांत वैश्वीकरण की वास्तविकताओं और पुनर्संतुलन के परिणामों को पहचानने के बारे में है। केवल वे ही जिनकी मानसिकता प्रभाव क्षेत्रों के इर्द-गिर्द बनी है और जो विश्व मामलों के लोकतंत्रीकरण से असहज हैं, आज हिन्द-प्रशांत पर विवाद करेंगे।
उन्होंने कहा कि क्वाड सबसे प्रमुख बहुपक्षीय मंच है जो इंडो-पैसिफिक में समकालीन चुनौतियों और अवसरों का समाधान करता है। क्वाड की ऊर्जा बहुत व्यापक गतिविधियों पर निर्देशित होती है। इसमें समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता व आपदा राहत, साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों एवं शिक्षा, स्वास्थ्य और अंतरिक्ष सहयोग शामिल है।
हिन्द-प्रशांत उसके विकास और अवसर पर विदेश मंत्री ने कहा कि वे मानते हैं कि इसका क्षेत्र अफ्रीका के पूर्वी तटों से लेकर अमेरिका के पश्चिमी तटों तक फैला हुआ है। क्षेत्र वैश्विक आबादी के 64 प्रतिशत से अधिक का घर है और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। अधिक एकीकरण और अधिक सहयोग इस क्षेत्र में केवल समृद्धि और प्रगति में वृद्धि करेगा।
उन्होंने कहा कि हिन्द-प्रशांत विजन भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर आधारित है। हमारी नीति सागर सिद्धांत पर आधारित है। सागर समुद्र के लिए उपयोग होने वाला एक भारतीय शब्द है। साथ ही यह क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के लिए एक संक्षिप्त शब्द भी है।
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि एशिया में आर्थिक गतिविधि की एक पूरी तरह से नई धुरी बनाने की क्षमता है। इस तरह की लेटरल कनेक्टिविटी दोनों के पारस्परिक लाभ के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया के बीच इंटरफेस का मौलिक रूप से विस्तार कर सकती है।