मप्र : फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में विधानसभा ने भाजपा विधायक जज्जी से छीने सभी अधिकार
भोपाल, 15 दिसंबर। मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा, टीकमगढ़ जिले के खरगापुर विधानसभा से भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी के बाद अब हाई कोर्ट के निर्देश पर अशोक नगर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी के सभी अधिकार छीन लिए गए। विधानसभा सचिवालय ने गुरुवार को उन्हें नोटिस जारी कर बतौर विधायक उनके अधिकारों को निलंबित करते हुए स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन में जवाब तलब किया है।
विधानसभा सचिवालय ने अपने नोटिस में विधायक जज्जी से कहा कि न्यायालय ने जाति प्रमाण पत्र के संबंध में जो आदेश पारित किया है, उसको लेकर स्थिति स्पष्ट करें। यदि आप तीन दिन में अपने पक्ष से अवगत नहीं कराते हैं तो आगामी कार्रवाई की जाएगी। यदि तीन प्रकरणों में 19 दिसंबर के पहले न्यायालय के आदेश पर हाई कोर्ट का कोई स्थगन आदेश प्राप्त नहीं होता है तो शीतकालीन सत्र में भी यह भाग नहीं ले पाएंगे।
दरअसल, जजपाल सिंह जज्जी ने वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र अशोक नगर से लड़ा था। उन्होंने भाजपा के लड्डूराम कोरी को चुनाव में पराजित किया था। कोरी ने चुनाव के बाद जज्जी के जाति प्रमाणपत्र को लेकर वर्ष 2020 में हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि जज्जी ने वर्ष 1999 में अशोकनगर नगरपरिषद के अध्यक्ष के चुनाव में स्वयं को कीर जाति का बताया था। वर्ष 2004 में उनका अन्य पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया। इसके बाद उन्होंने स्वयं को नट जाति का बताते हुए अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाया और 2018 का विधानसभा चुनाव इसी प्रमाणपत्र के आधार पर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीट अशोकनगर से लड़ा। बाद में जज्जी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए। उपचुनाव में भी विजयी रहे और वर्तमान में विधायक हैं।
हाई कोर्ट ने जज्जी के मामले में अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र को रद कर पुलिस अधीक्षक अशोकनगर को फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में प्राथमिकी करने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी कहा था कि आदेश की प्रति विधानसभा सचिवालय को दी जाए, ताकि उनकी सदस्यता समाप्त हो सके। हालांकि, विधानसभा को अभी आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए सचिवालय ने गुरुवार को उन्हें नोटिस जारी कर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। साथ ही विधानसभा सचिवालय ने जज्जी के वेतन-भत्ते पर अस्थायी रूप से रोक लगाते हुए शीतकालीन सत्र में उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों को शून्य कर दिया है। यदि न्यायालय से उन्हें कोई राहत नहीं मिलती है, तो वे सत्र की बैठकों में भाग नहीं ले पाएंगे।
इस संबंध में सचिवालय के अधिकारियों का कहना है कि जज्जी की सदस्यता समाप्त करने के लिए राज्यपाल मंगूभाई पटेल से अभिमत लिया जाएगा। यह मामला उनके जाति प्रमाणपत्र से जुड़ा हुआ है। जबकि, अजब सिंह कुशवाहा और राहुल सिंह लोधी के प्रकरण में कार्यवाही विधानसभा को करनी है क्योंकि कुशावाहा को दो वर्ष की सजा सुनाई गई है और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में इसको लेकर स्पष्ट प्रावधान है। इसी तरह राहुल सिंह लोधी के निर्वाचन को न्यायालय ने शून्य घोषित कर दिया है।
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि अस्थाई रूप से तीनों विधायकों के अधिकार शून्य कर दिए गए हैं। सत्र प्रारंभ होने से पूर्व इन विधायकों को कोर्ट ने राहत नहीं दी तो वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।