राष्ट्रीय

दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 15 को

नई दिल्ली, 13 सितंबर। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है। स्पेशल जज गीतांजलि गोयल ने अगली सुनवाई 15 सितंबर को करने का आदेश दिया।

आज कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से आंशिक दलीलें सुनीं। आठ सितंबर को ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वो अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। ईडी की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट को बताया था कि सत्येंद्र जैन ने 2018 में इनकम टैक्स को पत्र लिखकर बकाया आयकर का बीस फीसदी भुगतान अंकुश जैन और वैभव जैन की कंपनी के खाते से जमा करने का आवेदन किया था। इससे साफ है कि उस कंपनी का पैसा सत्येंद्र जैन का था।

कोर्ट ने 23 अगस्त को सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन को नियमित जमानत दी थी। 29 जुलाई को कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। 29 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले के आरोपित अजीत प्रसाद और सुनील कुमार जैन को अंतरिम जमानत दी थी। चार्जशीट पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ईडी जिन तीन कंपनियों का नाम ले रही उस कंपनी के सत्येंद्र जैन डायरेक्टर ही नहीं हैं तो आपने उन्हें आरोपित कैसे बनाया। कोर्ट ने ईडी से पूछा था कि क्या ईडी इस तरीके से काम करती है। कोर्ट ने कहा था कि फोटो कॉपी को वैध साक्ष्य नहीं माना जा सकता है।

ईडी ने चार्जशीट में सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन, सत्येंद्र जैन के करीबी वैभव जैन, अंकुश जैन, सुनील कुमार जैन, अजित कुमार जैन के अलावा अकिंचन डेवलपर्स प्रा. लि., प्रयास इंफोटेक प्रा.लि. और जेजे आइडियल कंपनियों को आरोपित बनाया है। इस मामले में सत्येंद्र जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन पहले से न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में सत्येंद्र जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था जबकि वैभव जैन और अंकुश जैन की गिरफ्तारी 1 जुलाई को हुई थी।

ईडी के मुताबिक इस मामले में कैश दिल्ली में दिया गया। ये कैश कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री ऑपरेटर्स तक पहुंचा। ये एंट्री ऑपरेटर्स फर्जी कंपनियों में शेयर खरीद कर निवेश करते थे। इन कंपनियों में निवेश कर काला धन को सफेद बनाया जा रहा था। पैसों से जमीन खरीदने का काम किया गया। प्रयास नामक एनजीओ के जरिये कृषि भूमि खरीदी गई।

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