अब तो हिम्मत भी टूटने लगी हैं और आखों के आंसू भी सूखने लगे हैं-परिजन
नई दिल्ली। मुंडका अग्निकांड को चार दिन बीत गए हैं। कुछ संदिग्ध आरोपित पकड़े गए हैं,जिनसे पूछताछ हो रही है। लेकिन हादसे के बाद लापता कर्मचारियों के परिजन चौथे दिन भी संजय गांधी अस्पताल में आकर अपनों की तलाश की कोशिश नहीं छोड़ रहे है। आलम यह है कि परिजनों के आखों के आसूं तक सूख चुके हैं। अब तो उनको भी लग रहा है कि उनका खोया हुआ सदस्य उनको मिलेगा भी या नहीं। परिजनों ने बताया कि उनके साथ भगवान मजाक सा कर रहा है।
करीबी बोल रहे हैं कि चार दिन बाद तो लग रहा है कि उनका अपना लापता सदस्य अब इस दुनिया में नहीं रहा है। वह हादसे का शिकार हो गया है। इसलिये उसकी फोटो ही घर में लगा लो। लेकिन दिल अभी मानने को तैयार नहीं हो रहा है। वह भी आखिरी कोशिश तक तलाशना नहीं छोडऩे वाले हैं। पुलिस अधिकारियों से उनको आश्वासन मिल रहा है कि इस हफ्ते में डीएनए लेकर शवों व अवशेषों की पहचान कर उनके अपने परिजनों को सौंप देगें।
एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेजे गए गोयल ब्रदर्स व मनीष लाकड़ा
डीसीपी समीर शर्मा ने बताया कि तीनों को एक दिन की पुलिस रिमांड मिली है। जिसमें हमें गोयल भाइयों के रक्त के नमूने लेने की जरूरत है, साथ ही हमें उनके और कंपनी के बारे में पूरी जानकारी लेनी है। इसके अलावा मनीष लाकड़ा के बारे में और उसके दस्तावेजों के बारे में जानना है। उससे उसकी मां और पत्नी के बारे में भी पता करना है। यहीं नहीं उनकी पत्नी और मां को भी जांच कर हिस्सा बनाना है।
तीनों से अभी तक जो जांच में सामने आया है। उसको क्रॉस चेक भी करना है। इसके अलावा अभी लाकड़ा का मोबाइल फोन भी तलाशना है। उसके बैंक खातों के बारे में अभी कुछ डिटेल आई है। जिनको खंगाला जाएगा और दोनों से उनके बारे में पूछा जाएगा।
गोयल ब्रदर्स देें हादसे की चपेट में आने वालों को मुआवजा
हादसे की चपेट में आए कर्मचारियों के परिजनों में अब आवाज उठने लगी है कि गोयल ब्रदर्स अब हादसे की चपेट में आने वालों को मुआवजा दे। उनकी ही गलती के कारण ही उन्होंने अपनों को हमेशा हमेशा के लिये खो दिया है। उनका कहना है कि मुआवजा इसलिए मांगा जाएगा क्योंकि मरने व लापता में काफी ऐसे हैं जो अपने परिवार का पेट भरा करते थे।
उनके छोटे छोटे बच्चे हैं या फिर भाई बहन हैं। उनके जाने के बाद अब उनको कौन सहारा देगा। जो हादसे की चपेट में आए हैं। वो सभी निर्धन परिवार से थे। नौकरी पर ही उनकी जिंदगी चल रही थी। इसलिए अब गोयल ब्रर्दस को मुआवजा देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो वे जल्द ही इसको लेकर आवाज भी उठाने वाले हैं।
ऐसे हादसे न हो विभागों को ईमानदारी बरतनी चाहिए-लोग
मुंडका हादसा दिल्ली में पहला हादसा नहीं है,जिसमें जलकर इतनी सारी मौत हुई हैं। लेकिन हर हादसे के बाद मामलों से जुड़े विभाग कार्यवाई करके ऐसे हादसे होने से रोकने का आश्वासन दिया करते हैं। लेकिन समय के साथ साथ विभाग चुपचाप बैठ जाता है और अगले हादसे के होने का इंतजार करता है।
ऐसे में विभागों को ईमानदारी बरतनी चाहिए,जिससे ऐसे हादसों को होने से काफी समय पहले ही रोका जा सके। जिससे किसी के परिवार का अपना न बिछड़ पाए। ऐसे परिवार वालों को सरकारों को भी समय पर मुआवजा व नौकरी देनी चाहिए। जिससे परिवार को जल्द ही जीने का सहारा मिल जाए।
चौथे दिन भी लाकड़ा और गोयल ब्रदर्स से होती रही पूछताछ
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि चौथे दिन भी गोयल ब्रदर्स से पूछताछ की गई। उनके बैंक खातों और सैलरी के बारे में जानकारी लेकर बैंक अधिकारियों से भी संपर्क करने की कोशिश की गई। जिससे पता चल सके कि उनकी कंपनी में काम करने वाले कितने कर्मचारी थे और उस दिन ऑफिस में कितने थे। असल में अभी तक मरने और लापता कर्मचारियों और हादसे के वक्त मौजूद कर्मचारियों के आकड़े में काफी अंतर आ रहा है। जिसको लेकर जांच की जा रही है।
चश्मदीदों से भी पूछताछ की जा रही है। जिनसे जांच में काफी मदद मिल रही है और जांच सही दिशा में जा रही है। दूसरी तरफ मनीष लाकड़ा के फोन को तलाशने की कोशिश की जा रही है। जिससे उसके फोन कॉल की डिटेल को खंगाला जा सके। जिसमें पता लग सके कि हादसे के बाद उसने किस किसको फोन किया था। सूत्रों की मानें तो लाकड़ा के परिवार वाले अब वकीलों से मामले में सलाह लेने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो परिवार वाले मनीष लाकड़ा को बेवजह फंसाने की बात कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने बिल्ंिडग को किराये पर काफी समय दे दिया था।
मलबे में अभी अवशेष होने की आशंका-पुलिस
पुलिस अधिकारियों की मानें तो जिस तरह से आग लगी और पहले ही दिन जिस तरह से अवशेष पड़े मिले थे। उससे आशंका पूरी है कि जो मलबा अभी पड़ा हुआ है। उसमें अवशेष हो सकते हैं। जिनको काफी ध्यान से उठाना होगा। क्योंकि अवशेष के काफी छोटे छोटे टूकड़े हो गए होगें। उन्होंने बताया कि दो सौ से ज्यादा बड़ी-बड़ी लिथियम बैट्रियां रखी हुई थी। पहले जब आग कम थी तो सिर्फ धुआं ही अंदर तक पहुंचा था।इस दौरान लोग अंदर से निकल पा रहे थे।
पहली मंजिल पर पेट्रोल व अन्य केमिकल की वजह से आग फैली व दूसरी मंजिल पर रखी इन लिथियम बैट्रियों में ब्लास्ट हुआ था। इसके अलावा इमारत में पीवीसी वायरिंग काफी ज्यादा थी।इसके अलावा पैकिंग के सामान, कागज समेत इमारत में 90 फीसद सामान प्लास्टिक व लकड़ी का ही रखा हुआ था।आग लगी तो प्लास्टिक पिंघलने लगा।जिस वजह से जहरीला धुआं फेफड़ों में भरने लगा व लोग दम घुटने की वजह से पिघले हुए प्लास्टिक के ऊपर ही गिर गया था।
जिन्होंने की थी आखिरी बार कॉल,उनके परिजनों से हो रही है पूछताछ
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हादसे के बाद जिन कर्मचारियों ने अपने परिजनों से फोन पर संपर्क कर हादसे की जानकारी दी थी और उनका बाद में संपर्क आज तक नहीं हो पाया है। ऐसे परिजनों से उन फोन नंबर को लिया जा रहा है। जिसको लेने के बाद उनको सर्वलांस पर लगाया जाएगा। उनकी जांच की जाएगी कि उन फोन से उस वक्त कितने फोन कहां कहां हुए थे।
असल में कंपनी में काम करने आए कर्मचारियों के फोन पहले ही बाहर रखवा लिया करते थे। महिला कर्मचारी की ज्यादा तलाशी नहीं होने पर वे किसी तरह से अपने फोन अंदर ले जाते थे। जिसके बारे में हादसे से बचे कर्मचारियों से पता भी चला है। इसलिये उन फोन की कंपनियों से रिकॉर्डिंग भी मांगकर पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि उस वक्त असल में हुआ क्या था।