राष्ट्रीय

सीमा पर तैनात जवानों के लिए 47,627 बुलेटप्रूफ जैकेट्स खरीदने की प्रक्रिया शुरू

– रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बुलेटप्रूफ जैकेट्स खरीदने के लिए जारी किया टेंडर

– गोला-बारूद और 10 मीटर की दूरी से दागी गई स्टील की गोलियों से बचाएंगी बुलेटप्रूफ जैकेट्स

नई दिल्ली, 11 नवम्बर । भारतीय सेना सीमा पर तैनात जवानों के लिए 47,627 बुलेटप्रूफ जैकेट्स खरीदने जा रही है। इसके लिए सेना ने टेंडर भी जारी कर दिया है। यह जैकेट अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को 7.62 मिमी. गोलियों के साथ-साथ निकट सीमा से दागी गई स्टील कोर गोलियों से बचाने में सक्षम होंगी। यह खरीद प्रक्रिया 2 साल के भीतर पूरी की जाएगी। गोला-बारूद से सुरक्षा करने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट्स का वजन 10 किलोग्राम से कम और स्टील कोर की गोलियों से सुरक्षा करने वाली जैकेट्स का वजन 11.8 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 26 जुलाई को बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने को मंजूरी दी थी। इस पर रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 47,627 बुलेटप्रूफ जैकेट्स खरीदने के लिए टेंडर जारी किया है। सभी तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने और उपयोगकर्ता परीक्षण समाप्त होने के बाद यह खरीद 12 से 24 महीने की अवधि में पूरी की जाएगी। जारी किये गए टेंडर में अपेक्षा की गई है कि यह बुलेटप्रूफ जैकेट्स सैनिक को 7.62 मिमी राइफल गोला-बारूद के साथ-साथ 10 मीटर की दूरी से दागी गई गोलियों से बचा सकें। गोला-बारूद से सुरक्षा करने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट्स का वजन 10 किलोग्राम से कम और स्टील कोर की गोलियों से सुरक्षा करने वाली जैकेट्स का वजन 11.8 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।

लंबे वक्त से सैनिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग होती रही है। इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने 9 अप्रैल, 2018 को स्वदेशी कंपनी एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड से 639 करोड़ रुपये की लागत से 1,86,138 बुलेटप्रूफ जैकेट का अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। तीन साल के भीतर करीब पौने दो लाख बुलेट प्रूफ जैकेट सेना को मिली हैं। रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने 06 जनवरी, 2021 को एक समारोह में एक लाखवीं बुलेट प्रूफ जैकेट तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को सौंपी थी। इसके बावजूद अभी भी सेना में बुलेटप्रूफ जैकेटों की कमी बरकरार है, जिसे पूरा करने के लिए यह टेंडर जारी किया गया है। इसके बाद फुल-बॉडी प्रोटेक्शन बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए एक और टेंडर जारी होने की उम्मीद है।

यह कंपनी दुनियाभर में इस बुलेट प्रूफ जैकेट का निर्यात भी कर रही है। यह कंपनी पहले भी भारतीय वायु सेना, नौसेना कमांडो, अर्धसैनिक बलों जैसे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय सुरक्षा सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को बुलेटप्रूफ जैकटों की आपूर्ति कर चुकी है। इसके अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और गुजरात, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, कोलकाता के राज्य पुलिस बलों और दुनियाभर में विभिन्न बलों को भी अपने उत्पाद आपूर्ति किये हैं।

क्या है बुलेटप्रूफ जैकेट

जब कोई गोली बुलेटप्रूफ जैकेट से टकराती है तो सबसे पहले वो सेरेमिक परत से जाकर टकराती है। सेरेमिक परत बहुत मजबूत होती है, इसलिए इससे टकराते ही गोली का आगे का नुकीला सिरा टुकड़ों में टूट जाता है। ऐसा होने पर गोली की गति कम हो जाती है और वो आसानी से भेद नहीं पाती है। सेरेमिक परत से टकराने पर गोली के टूटने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिसे बैलिस्टिक परत अवशोषित कर लेती है। ऐसा होने पर बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए सैनिक को कम से कम क्षति पहुंचती है और इस तरह बुलेटप्रूफ जैकेट गोली के प्रभाव को कम करके सैनिक को सुरक्षित रखती है। इस जैकेट में हेलमेट, गर्दन, कोहनी और कमर के हिस्सों को जरूरत के अनुसार अलग किया जा सकता है, जैसे गश्त के दौरान जैकेट के पिछले हिस्से को हटाया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker