दिल्ली

अब एलजी ने की डीटीसी बसों की खरीद मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश

नई दिल्ली, 11 सितंबर। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) द्वारा 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीद प्रक्रिया में अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। प्राप्त शिकायत की विभागीय स्तर पर जांच को सही पाते हुए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इस मामले को सीबीआई जांच कराने का प्रस्ताव उपराज्यपाल सचिवालय को भेजा था, जिसे उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने मंजूरी दे दी है। नई आबकारी नीति, स्कूलों में नए कमरे निर्माण में भ्रष्टाचार की पहले से जारी सीबीआई जांच के बाद डीटीसी बसों से संबंधित कथित घोटाले में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हर तरफ से घिरती नजर आ रही है।

डीटीसी बस खरीद मामले में कथित घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की शिकायत गत वर्ष दिल्ली भाजपा के नेताओं ने एलजी से की थी। जिसे अब मंजूर कर लिया है। इस संबंध में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और विजेंद्र गुप्ता लगातार एलजी से लगातार उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की थी, जिसके बाद उपराज्यपाल ने पहले शिकायत की जांच मुख्य सचिव को कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था।

दिल्ली सरकार द्वारा 1000 नई लो फ्लोर बस खरीदने और उसके रखरखाव की जो शर्त रखी गयी, आरोप है कि इस हिसाब से 3500 करोड़ रुपये के बस रख-रखाव का घोटाला है। बस के रख-रखाव का काम सभी जगह उसकी वारंटी के बाद दिया जाता है, लेकिन दिल्ली में 1000 बसों की 850 करोड़ रुपये में खरीद के साथ ही उसके रखरखाव के लिए भी 3500 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया था।

दिल्ली सरकार ने बसों को हासिल किए बिना ही वर्क आर्डर लागू कर दिया। इसके बाद बीजेपी की लगातार आपत्तियों के बाद एक समिति ने बसों के रखरखाव के वर्क आर्डर को रद्द करने का सुझाव दिया। समिति का यह सुझाव सरकार को बचाने के लिए रास्ता देने की कोशिश है। इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश गई।

अब एलजी द्वारा मामले की सीबीआई जांच की स्वीकृति प्रदान करने के बाद दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्टाचार मिटाने की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल खुद भ्रष्टाचार के स्वयं सिरमौर बन चुके हैं। अरविंद केजरीवाल को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी। नैतिकता के आधार पर सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि जुलाई 2019 में 1,000 लो फ्लोर बीएस-IV और बीएस-VI बसों की खरीद और मार्च 2020 में लो फ्लोर बीएस-VI बसों की मेंटेनेंस के लिए बोली लगाई थी जिसमें अनियमितता मिली थी। बाद में यह टेंडर रद्द कर दी गई थी। मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में निविदा प्रक्रिया में गंभीर विसंगतियां, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के दिशानिर्देशों और सामान्य वित्तीय नियमों के स्पष्ट उल्लंघन का उल्लेख किया था। इस मामले में तीन सदस्यों की रिटायर्ड आईएएस ओपी अग्रवाल की अध्यक्षता में कमेटी भी गठित हुई थी। डीटीसी ने अभी तक अपने बेड़े को बढ़ाने के लिए 1,000 लो फ्लोर बसों की खरीद नहीं की है।

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