संस्कारित होते रहते मंत्रों और अजानों से
-डीएवी पीजी कालेज में जश्ने आजादी: मुशायरा
वाराणसी, 22 अगस्त। सब धर्मों ने राह दिखाई सच की जोत जलाई है, हम संस्कारित होते रहते मंत्रों और अजानों से, शायर डॉ. नसीमा निशा ने सोमवार को जैसे ही यह शेर पढ़ा, समूचा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। अवसर था आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में डीएवी पीजी कॉलेज के उर्दू विभाग के तत्वावधान में आयोजित जश्ने आजादी: मुशायरे का।
मुशायरे में शहर के कई नामचीन शायरों और कवियों ने शिरकत कर कविताओं, नज्मों और शेरो शायरी के जरिये कौमी एकता का संदेश दिया। शायर आलम बनारसी ने आन बाकी है, शान बाकी है, तू जो है हिंदुस्तान बाकी है सुनाया तो शायर अहमद आजमी ने मंदिर मस्जिद न तो गिरिजा शिवाला चाहिए, भूखा जो इंसान है, उसको निवाला चाहिए सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। कवियत्री डॉ. मंजरी पाण्डेय ने कुछ इस अंदाज से इस देश की जीनत बढ़ाते हैं दिए मिल्लत की हम तो मंजरी हर पल जलाते है, मिसालें मिल नहीं सकती हमारे भाईचारे की,हम होली, दीवाली ईद मिल जुल कर मनाते हैं सुनाया तो विभा शुक्ला ने बहुत घुटन है दिलो जिगर में सुलग रही है सभी सदायें, चलो यहाँ से चले वहाँ यहाँ बहुत है गर्म हवाएं सुनाया। शायर हशम तुराबी ने तेरे गम बाटकर मुझको बड़ी तस्कीन मिलती थी, मेरा दिल कह रहा फिर तेरे आँसू चुराने को सुनाया तो नफीस बानो ने मैंने किस्मत कहा तीरा सखी को अपनी झिलमिलाते हुए सम्त से जुगनू आये सुनाया। इसके अलावा प्रो. अनूप कुमार मिश्रा, डाॅ राकेश कुमार द्विवेदी, सुहैल उस्मानी, जमजम रामनगरी, विकास कुमार आदि ने भी कविता एवं शायरी सुनाई।
अध्यक्षता डॉ. अनुराधा बनर्जी ने की। स्वागत एवं संयोजन विभागाध्यक्ष डॉ. हबीबुल्लाह संचालन अब्दुला एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. तमन्ना शाहीन ने दिया।