राष्ट्रीय

नामीबिया से लाई गई मादा चीता शाशा की तबीयत में हो रहा सुधार

भोपाल, 26 जनवरी। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से बीमार हुई मादा चीता शाशा की तबीयत में अब सुधार हो रहा है। देश के जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ साउथ अफ्रीका के चीता विशेषज्ञ डाक्टरों की सहायता लेकर बीमार चीता के इलाज में जुटे हैं। भोपाल से भी विशेषज्ञों की टीम कूनो उद्यान पहुंची है।

मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक जेएस चौहान ने गुरुवार को बताया कि पांच साल की मादा चीता शाशा की तबीयत 19 जनवरी से खराब है। वह डीहाइड्रेशन का शिकार हुई है, इसलिए कुछ खा-पी नहीं रही थी और एक जगह बैठ गई थी। हमारे देश में अच्छे वन्यजीव विशेषज्ञ डाक्टर हैं, जो बीमार चीता का इलाज कर रहे हैं। साउथ अफ्रीका के विशेषज्ञों से भी मदद ले रहे हैं। दो-तीन दिन से बीमार चीता की हालत में सुधार दिख रहा है।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि बड़े बाड़े के कंपार्टमेंट नंबर-5 में पिछले साल 28 नवंबर को तीन मादा चीता सवाना, शाशा और सियाया को छोड़ा गया था। तीनों मादा चीता एक साथ ही कंपार्टमेंट में रहकर शिकार भी कर रही थीं, लेकिन मादा चीता शाशा के बीमार होने के बाद पार्क प्रबंधन चिंतित है। उसके बीमार होने का पता हाल में रूटीन मॉनिटरिंग के दौरान चला। शाशा डिहाइड्रेशन और गुर्दे की बीमारी से पीड़ित है।

उन्होंने बताया कि भोपाल से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को उसके इलाज के लिए कूनो भेजा गया है। वन विहार नेशनल पार्क के मुख्य पशु चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता टीम के प्रमुख हैं। डिहाइड्रेशन की वजह से मादा चीता के शरीर में पानी की कमी आ गई है। डॉक्टरों ने उसकी किडनी में इंफेक्शन होना बताया है। वन विहार से पहुंची विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम मादा चीता को अपनी देखरेख में लेकर उसका उपचार कर रही है। लगातार ड्रिप लगाकर जरूरी इंजेक्शन दिए जाने के बाद गुरुवार को शाशा की तबीयत में सुधार है, लेकिन अभी भी वह डॉक्टरों की देख-रेख में है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए आठ (5 मादा और 3 नर) चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। इन्हीं में से एक मादा चीता शाशा की तबीयत 19 जनवरी को बिगड़ गई। घंटों तक उसने कोई चहल-कदमी नहीं की और न ही किसी शिकार का पीछा किया। ऐसे में उसे मांस डाला गया, लेकिन उसने वह भी नहीं खाया। इसके बाद भोपाल और दिल्ली के वन्यजीव विशेषज्ञों को कूनो उद्यान में बुलाया गया, जो बीते बीमार चीता की देख-रेख एवं इलाज में जुटी है।

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