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3.65 लाख आरएफआईडी पंजीकृत यात्रियों ने श्री अमरनाथजी की पवित्र गुफा में दर्शन किए, पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक है-उपराज्यपाल

श्रीनगर, 12 अगस्त। राजभवन सभागार में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्री अमरनाथजी यात्रा के संचालन में शामिल सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष, श्री अमरनाथजी यात्रा में 3.65 लाख आरएफआईडी पंजीकृत व्यक्तियों ने श्री अमरनाथजी की पवित्र गुफा में दर्शन किए, जो पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक है।

2016 में दर्शन करने वालों की संख्या 220490, वर्ष 2017 में 260003 जबकि 2018 और 2019 में यह संख्या 285006 और 343587 रही थी।

उपराज्यपाल ने कहा कि 44 दिनों में से 20 दिनों तक खराब मौसम के बावजूद कुल यात्रा संतोषजनक रही। यात्रियों द्वारा किया गया आरएएस सर्वेक्षण विभिन्न मानकों पर 93 प्रतिशत संतुष्टि रेटिंग दर्शाता है, जबकि 73 प्रतिशत दर्शन यात्रा के पहले 20 दिनों में किए गए।

उन्होंने कहा कि सुविधाओं के बारे में यात्रियों से मिली प्रतिक्रिया प्रशासन के लिए अच्छी रही है।

उपराज्यपाल ने कहा कि श्राइन बोर्ड, नागरिक प्रशासन, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना, सीएपीएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वयंसेवकों, अन्य हितधारकों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों ने 8 जुलाई की बाढ़ के बाद तेजी से बचाव और निकासी अभियान चलाया और कई कीमती लोगों की जान बचाई। हमारी पुलिस और सुरक्षा बलों के समर्पण और प्रतिबद्धता ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।

उपराज्यपाल ने कहा कि मैं यात्रा के सफल संचालन में समर्थन हेतु केंद्र सरकार और मीडियाकर्मियों का भी आभार व्यक्त करता हूं।

उपराज्यपाल ने कोविड महामारी के कारण दो साल बाद फिर से शुरू हुई श्री अमरनाथजी यात्रा के लिए की गई विभिन्न नई पहलों को सूचीबद्ध किया।

पिछले वर्षों की तुलना में यात्रियों की वहन क्षमता में 80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। जम्मू-कश्मीर में पहले 70,000 यात्रियों की तुलना में 1,25,000 यात्रियों को समायोजित करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। चंद्रकोट में 3600 क्षमता वाला एक नया यात्री निवास इस वर्ष यात्रियों के लिए खोला गया था, जो खराब मौसम के दौरान भी अधिक यात्रियों को समायोजित करने में एक महत्वपूर्ण सुविधा साबित हुई।

पहली बार यात्रियों की ट्रैकिंग शुरू की गई जो यात्रियों की ट्रैकिंग में बहुत मददगार साबित हुई, विशेष रूप से 8 जुलाई को आपदा के समय जब तकनीक का उपयोग करके कई यात्रियों का पता लगाया जा सका।

शौचालयों की संख्या में 240 प्रतिषत की वृद्धि और अभूतपूर्व स्वच्छता व्यवस्था ने कूड़े मुक्त और खुले में शौच मुक्त यात्रा सुनिश्चित की। इसके अलावा, अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या में 190 प्रतिशत की वृद्धि, प्रत्येक आधार शिविर में विकसित 100 बिस्तरों की अतिरिक्त चिकित्सा सुविधा और अतिरिक्त रूप से स्थापित 50 बिस्तर, ऑक्सीजन बूथों की संख्या में 85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

इस वर्ष यात्रियों ने 2 सेक्टरों के बजाय 4 सेक्टरों से हेलीकाप्टर सेवा का लाभ उठाया। श्रीनगर से नीलगा्रथ और श्रीनगर से पहलगाम तक दो नए हेली सेक्टर यात्रियों के लिए खोले गए। बालटाल और दोमेल के बीच यात्रियों को निःशुल्क बैटरी कार सेवा, प्रत्येक शिविर और पटरियों पर आरओ वाटर प्यूरीफायर की संख्या में 200 प्रतिषत की वृद्धि दर्ज हुई, बालटाल मार्ग पर भूमिगत केबल बिछाई गई, 24 घंटे बिजली की आपूर्ति प्रदान की गई, बैकअप जेनरेटर सेट ने यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में मदद की।

निगरानी के लिए यात्रा की पटरियों पर लगाए गए पीटीजेड कैमरों ने कई मुद्दों को हल किया और यात्रा की मिनट-दर-मिनट निगरानी में मदद की। पोनी, पिठुओं और पालकियों को किराए पर लेने के लिए पेश की गई प्रीपेड प्रणाली ने भी यात्रियों के अधिक शुल्क को रोका। यात्रा को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने हेतु अधिकारियों की तीन गुना संख्या शिविरों में तैनात की गई। एसएएसबी के सीईओ द्वारा संभागीय आयुक्तों, उपायुक्तों, कैंप अधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ दैनिक समन्वय बैठकों के बेहतर परिणाम मिले।

सभी संबंधित विभागों के नोडल अधिकारियों के साथ श्रीनगर में त्वरित निगरानी और तत्काल प्रतिक्रिया हेतु एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र स्थापित किया गया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-आईआईटी जम्मू के स्वयंसेवी छात्रों ने तकनीकी सहायता में यात्रा में अपनी सेवा प्रदान की। यात्रा के प्रत्येक मार्ग के लिए एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया गया।

यात्रियों की सुविधा हेतु, देश भर में एसबीआई, पीएनबी, जेएंडके बैंक और येस बैंक की 566 बैंक शाखाओं द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से यात्रा पंजीकरण 11 अप्रैल को शुरू किया गया था।

खराब मौसम के कारण यात्रियों की अपेक्षित संख्या कम होने के सवाल का जवाब देते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि यात्रा के लिए कोई लक्ष्य संख्या निर्धारित नहीं की गई थी। यात्रियों की अनुमानित वृद्धि को देखते हुए व्यवस्था की गई थी क्योंकि यात्रा 2020 और 2021 में कोविड के कारण नहीं हो सकी थी।

जहां तक गुफा के ऊपर किसी झील की मौजूदगी के सवाल का सवाल है, उपराज्यपाल ने कहा कि इस संबंध में विशेषज्ञों से सलाह ली गई और वहां कोई जलाशय नहीं मिला।

44-दिवसीय यात्रा 30 जून आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा को पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों से शुरू हुई और 12 अगस्त श्रवण पूर्णिमा को समाप्त हुई। प्रथम पूजा 14 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ दिन पर पवित्र गुफा तीर्थ में सीईओ एसएएसबी द्वारा की गई थी।

उपराज्यपाल ने 29 जून को भगवती नगर, जम्मू से पहले काफिले को झंडी दिखाकर रवाना किया और यात्रा 2022 की शुरुआत के अवसर पर 30 जून को पूजा की।

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