बिजली कंपनियां बाहर से खरीदने जा रही थीं ट्रांसफार्मर, दबाव के बाद खींचा कदम
-यदि बाहर से खरीदे जाते ट्रांसफार्मर तो उपभोक्ताओं पर ही पड़ता बोझ
लखनऊ, 05 सितम्बर। शासन की मंशा के विपरित अब भी बिजली कंपनियां मौका देखते कोई भी कमाई का जरिया नहीं छोड़ना चाहती, लेकिन उपभोक्ता परिषद भी उसकी एक-एक चाल पर निगाह लगाये रहता है। इससे आए दिन बिजली कंपनियों को अपने आदेशों को निरस्त करने को मजबूर हो जाना पड़ता है। ताजा मामला बिजली कंपनियों में 10 केवीए व 16 केवीए के वितरण ट्रांसफार्मर खरीदने का है, जिसकी जानकारी होते उपभोक्ता परिषद ने मोर्चा खोल दिया। इसके बाद तीन सितम्बर को जारी आदेश को पांच सितम्बर को निरस्त कर दिया गया।
यदि ये ट्रांसफार्मर बाहर से खरीदे जाते तो इसका बोझ उपभोक्ताओं पर ही पड़ता और उन्हें इसको लगाने का खर्च वहन करना पड़ता। उपभोक्ता परिषद की सक्रियता से उपभोक्ताओं को राहत मिल गयी है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इस गंभीर मामले पर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक से भी बात करके बताया कि उनके द्वारा जारी आदेश आयोग का उल्लंघन है, जिसे जनहित में वापस लिया जाना होगा। प्रदेश की बिजली कंपनियों में विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधाननुसार बनाई गई कास्ट डाटा बुक के विपरीत जाकर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में यह आदेश निर्गत कर दिए गए थे।
वहीं दूसरी बिजली कंपनियों मध्यांचल पूर्वांचल में इन ट्रांसफार्मरों की खरीद पर बिना आदेश के रोक लगी हुई है, जिसकी भनक लगते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज से अलग-अलग मुलाकात कर इस गंभीर मुद्दे को उठाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अमित किशोर ने तत्काल अपने आदेश जो 3 अगस्त को जारी किया था उसको निरस्त कर दिया । वही प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल ने आदेश को निरस्त करने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी।