परमात्मा के प्रति नि:स्वार्थ प्रेम ही सच्ची भक्ति है : माता सुदीक्षा
सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं उनके जीवनसाथी राजपिता रमित जी समागम में लगाये गए बाल प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए।
गन्नौर। परमात्मा के प्रति नि:स्वार्थ प्रेम ही सच्ची भक्ति कहलाती है। और ऐसी ही निष्काम प्रेम की भावना संतों की होती है।’’ उक्त उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के मुख्य सत्र में देश विदेशों से लाखों की संख्या में आये हुए विशाल मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। सतगुरु माता ने कहा कि भक्त हर किसी को ईश्वर का ही रूप समझकर सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करता है और उसका उसमे कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं होता। ऐसे भक्तों की भक्ति में फिर किसी प्रकार के डर का भाव नहीं रहता। प्रेम से किए गए हर कार्य का आधार केवल प्रेम ही होता है जिसकी प्रेरणा प्रेम ही होती है। समर्पित भाव से की जाने वाली सेवा सदैव परोपकार के लिए ही होती है। वहीं दूसरी ओर संसार में यदि देखा जाए तो जो प्रेम दर्शाया जाता है उसमें भी प्राय: कोई न कोई निजी स्वार्थ छिपा होता है।
संत समागम का मुख्य आकर्षण ‘निरंकारी प्रदर्शनी
निरंकारी संत समागम का मुख्य आकर्षण ‘निरंकारी प्रदर्शनी’ है। प्रदर्शनी समागम का मुख्य आकर्षण बनी हुई है और समागम के दौरान हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त इस प्रदर्शनी का अवलोकन कर रहे हैं। प्रदर्शनी को छ: मुख्य भागों में दर्शाया गया है जिसमें आधुनिक तकनिकी का बखुबी इस्तेमाल करके इसे अत्यंत प्रभावशाली बनाया गया है। प्रदर्शनी में स्टुडियो डिवाईन, बाल प्रदर्शनी, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग प्रदर्शनी, थिएटर एवं डिजÞाईन स्टुडियो इत्यादि का सुंदर समावेश है।