राष्ट्रीय

हमीरपुर के डीएम ने एक मुकदमे में संस्कृत भाषा में पढ़कर सुनाया फैसला

कोर्ट में वकीलों के बीच संस्कृत भाषा में दिया आदेश

हमीरपुर 09 सितम्बर। हमीरपुर में शुक्रवार को कोर्ट में एक मुकदमे की सुनवाई के बीच डीएम ने पहली बार संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया जिसे सुनते ही वकील हतप्रभ रह गए। इतना ही नहीं, डीएम ने संस्कृत भाषा में आदेश भी जारी कर दिए हैं। एक आईएएस के संस्कृत भाषा में फैसला सुनाने का यह पहला वाक्या सामने आया है जो कोर्ट से लेकर आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

हमीरपुर के जिले के राठ थाना क्षेत्र के ग्राम गिरवर निवासी संतोष कुमार पुत्र करनसिंह अनुसूचित जाति का है। इसके पास मौजा कुम्हरिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि भूमि है। किसान संतोष ने जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपना मामला रखा था। उसने कोर्ट में बताया कि उसके ऊपर सरकारी कर्जा है और बीमारी से परेशान भी रहता है। बताया कि सरकारी कर्जा निपटाने और बीमारी का इलाज कराने के लिए अपनी भूमि को दो हिस्सों में 0.4050 हेक्टेयर व 0.0930 हेक्टेयर गैर अनुसूचित जाति के लोगों को बेचना चाहता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए आज डीएम डाँ.चन्द्रभूषण त्रिपाठी ने पहली बार कोर्ट में वकीलों के बीच संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया। बता दें कि डीएम ने संस्कृत भाषा से पीएचडी की है।

डीएम ने संस्कृत भाषा में चार पेज का दिया निर्णय

डीएम ने बताया कि किसान संतोष कुमार के मामले की जांच राठ तहसीलदार व एसडीएम से कराई थी। जांच रिपोर्ट के बाद आज यहां कोर्ट में इस प्रकरण पर निर्णय चार पेज में दिया गया है। बताया कि इस पूरे प्रकरण पर फैसला संस्कृत भाषा में दिया गया है। इतना ही नहीं, इस फैसले के आदेश भी संस्कृत भाषा में ही दिए गए हैं।

गैर अनुसूचित जाति को जमीन बेचने की दी अनुमति

जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में गैर अनुसूचित जाति के लोगों को जमीन बेचने की अनुमति संस्कृत भाषा में दिए जाने से किसान संतोष कुमार खुशी से उछल पड़ा। डीएम ने बताया कि इस मामले में आदेश को संस्कृत भाषा में लिखकर सभी वकीलों के बीच पढ़कर सुनाया गया है। इसे संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने की नई पहल के रूप में देखा जा रहा है।

सैकड़ों साल बाद कोर्ट ने संस्कृत भाषा में दिया फैसला

बताते हैं कि डीएम कोर्ट में अंग्रेजी हुकूमत में डीएम कोर्ट से बहुत सारे फैसले अंग्रेजी में फैसले होते थे लेकिन यहां पहली बार डीएम ने कोर्ट में संस्कृत भाषा में न सिर्फ फैसला दिया बल्कि उसे संस्कृत भाषा में पढ़कर वकीलों को सुनाया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया कि संस्कृत भाषा में निर्णय देना एक नई पहल है।

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