राष्ट्रीय

बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधिविधान से बंद,पांच हजार से अधिक श्रद्धालु बने साक्षी

-गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के गूंज उठा धाम

-बदरीविशाल के रिकॉर्ड सत्रह लाख साठ हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने किए दर्शन

-मुख्यमंत्री ने तीर्थयात्रियों को दी शुभकामनाएं,कहा- रिकार्ड संख्या में चारधाम पहुंचे तीर्थयात्री

-भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट,पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज व बीकेटीसी अध्यक्ष ने यात्रा के समापन पर दी बधाई

देहरादून/बदरीनाथ, 19 नवंबर । बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं। इसी के साथ शीतकाल के लिए चारधाम के कपाट बंद हो गए।

इस दौरान पांच हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। इस दौरा जयकारों से धाम गूंज उठा। मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था जो सज्जा देखते ही बन रही थी। कई स्थानों पर तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे आयोजित किए गए थे।

शनिवार प्रात: तीन बजे मंदिर खुल गया। अभिषेक शुरू होते ही भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा। राज भोग के पश्चात भी दर्शन होते रहे। दिन के भोग के पश्चात, सायंकालीन आरती भी संपन्न हुई। इसके बाद भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई।

रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री भेष धारण कर मां लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया। इससे पहले भगवान के सखा उद्धव जी और देवताओं के खजांची कुबेर सभा मंडप में आ गये थे। तत्पश्चात जन्मकुंडली वाचन के बाद भगवान बदरीविशाल को महिला मंडल माणा द्वारा बुनकर तैयार किया गया घृत कंबल पहनाया गया। इसी के साथ भगवान बदरीविशाल के कपाट ठीक शाम 3 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गये। बदरीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से बदरीधाम को फूलों से सजाया गया था। आज शाम शनिवार को कुबेर बदरीनाथ धाम के निकट बामणी गांव रात्रि प्रवास के लिए प्रस्थान हो गये। कल 20 नवंबर कुबेर जी बामणी गांव से पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे।

इस अवसर गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा जय बदरीविशाल की जय उदघोष से बदरीनाथ धाम गुंजायमान रहा।

इसी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर तथा नृसिंह बदरी में शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही सभी निकटवर्ती मन्दिरों माता मूर्ति मंदिर माणा, भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन के कपाट भी शीतकाल हेतु आज 19 नवंबर को बंद हो गये है। कुछ दिनों पूर्व घंटाकर्ण मंदिर माणा के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि शुक्रवार रात्रि तक 17,60649 तीर्थयात्री भगवान बदरीविशाल के दर्शन को पहुंचे।

15 नवंबर से पंच पूजायें शुरू

पंचपूजाओं के अंतर्गत पहले दिन 15 नवंबर को गणेश के कपाट बंद हो गये थे।16 नवंबर को आदि केदारेश्वर जी के कपाट बंद हुए, 17 को खडग पूजन तथा वेद ऋचाओं का वाचन बंद हुआ। 18 को लक्ष्मी माता का पूजन एवं कढ़ाई भोग लगाया गया। 19 नवंबर को भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं प्रेषित की कहा कि इस बार चारधाम यात्रा रिकार्ड साढ़े छयालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में जन सहयोग से केदारनाथ धाम एवं बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे आनेवाले यात्राकाल में तीर्थयात्रियों एवं आम जनमानस को पर्याप्त सुविधाएं मिलेंगी।

पर्यटन धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने यात्रा संपन्न होने पर समस्त श्रद्धालुओं, यात्रा व्यवस्थाओं में लगे अधिकारियों कर्मचारियों और स्थानीय जनता का आभार व्यक्त किया है। महाराज ने यात्रा संपन्न होने पर समस्त श्रद्धालुओं, यात्रा व्यवस्थाओं में लगे अधिकारियों कर्मचारियों और स्थानीय जनता का आभार व्यक्त किया है।

उन्होंने यात्रा संपन्न होने पर समस्त श्रद्धालुओं, यात्रा व्यवस्थाओं में लगे अधिकारियों कर्मचारियों और स्थानीय जनता का आभार व्यक्त किया है। महाराज ने श्रद्धालुओं से अनुरोध है किया है कि वह अधिक से अधिक संख्या में शीतकालीन पूजा के लिए उत्तराखंड पहुंचे और भगवान के शीतकालीन दर्शनों का लाभ उठाकर पुण्य के भागी बने। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है।

इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि सामूहिक सहयोग समन्वय से यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हुआ है। कल 20 नवंबर को प्रात: 9 बजे उद्धव और कुबेर की डोली और रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी सहित आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान हो जायेगी।

उद्धव एवं कुबेर योग बदरी शीतकाल में पांडुकेश्वर में विराजमान रहेंगे जबकि 21 नवंबर सोमवार को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जायेगी।

इस अवसर पर सहित, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जयंती प्रसाद कुर्मांचली, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज,सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,पुष्कर जोशी,भास्कर डिमरी, आशुतोष डिमरी, वीरेंद्र असवाल, नंदा देवी, जेपी सेमवाल, जिला प्रशासन पुलिस के अधिकारी, मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, यात्रा मजिस्टेट रामजीत शरण,ईओ सुनील पुरोहित,थानाध्यक्ष केसी भट्ट धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़, आदि मौजूद रहे।

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