राष्ट्रीय

सहकारिता से सार्थक होगा सर्वेभवन्तु सुखिनः का सपना : संजय पाचपोर

सहकार भारती से जन-जन को जोड़ने की तैयारी

हरदोई, 07 अगस्त। सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर ने रविवार को कहा कि भारतीय धर्म-संस्कृति के ध्येय वाक्य सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामयः के सपने को सहकारिता के माध्यम से ही सार्थक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सहकार भारती का उद्देश्य भी राष्ट्र व समाज के समग्र विकास के साथ मानव का उत्थान है। वह रविवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित सहकार भारती के जनपदीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे।

संजय पाचपोर ने कहा कि अधिनायकवादी और कम्युनिस्टवादी व्यवस्था के दुष्परिणामों से सारा संसार ऊबकर उससे छुटकारा चाहता है और भारत को एक नयी उम्मीद से देख रहा है। विश्व की उम्मीदों पर भारत को खरा उतरना है जिसके सकारात्मक परिणामों की नयी कोपलें सहकारिता की कोख से ही अंकुरित होंगी।

संजय पाचपोर ने कहा कि कोई सरकार या प्रधानमंत्री दो-चार साल में देश को विकास की ऊंचाइयों तक नहीं ले जा सकता। इस गहराई को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समझा और इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए केन्द्र में सहकारिता मंत्रालय गठित कर जन-जन को उससे जोड़ने व लाभान्वित कराने की योजना बनायी जा रही है। इसलिए सभी सहकारी समितियों के सदस्य के रूप में अंशदायी बन उसके लाभांशी बने।

राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से सहकारिता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ तो सहकारी दुग्ध समितियों एवं संघों से हर ओर दूध की नदियां बहाने की कल्पना साकार की जा सकती है।

सहकार भारती के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र उपाध्याय ने सहकारिता को गतिशील बनाने के साथ ही पुनर्जीवित करने पर बल दिया। कहा आजादी अमृत महोत्सव के क्रम में गंगा किनारे के 75 गंगा ग्रामों को विकसित किया जाएगा।

प्रदेश अध्यक्ष ने सच्चे मन, वचन, कर्म से सहकार भारती से जुड़ने पर जोर दिया। कहा तभी सर्व समाज का विकास होगा जो राष्ट्र उत्थान में भी सहायक बनेगा। प्रदेश अध्यक्ष ने जिला कार्यकारिणी से परिचय प्राप्त किया और सदस्यता अभियान की प्रगति की समीक्षा भी की।

प्रदेश महामंत्री डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने संगठन के उद्देश्यों और विस्तार पर प्रकाश डालते हुए सभी से सहकारी समितियों का अंग बनने पर बल दिया। कहा समितियों का संचालन ईमानदारी और सच्चे प्रयासों से हो तो सहकार बंधुओं के गुणात्मक विकास की राहें खुलेंगी।

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