बिहार

भाई बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक सामा चकेवा पर्व का समापन

सहरसा,08 नवंबर। भाई बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक सामा चकेवा का पर्व का समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया गया। इस अवसर पर घर-घर में सामा चकेवा वृंदावन चुगला एवं अन्य मूर्ति बनाकर भाई की समृद्धि के लिए सभी बहने एक सप्ताह सेे अधिक समय तक सामा चकेवा पर्व का खेल खेलती है। इस अवसर पर कर्णप्रिय गीत के माध्यम से भाइयों को समृद्धि प्रदान करने की कामना की जाती है। इस अवसर पर सभी महिलाएं एवं बहने अपने अपने भाइयों के मंगल कामना करती है। छठ के दिन प्रातः कालीन अर्घ्य के बाद वहां से मिट्टी लाकर सामा चकेवा की प्रतिमा बनाया जाता है।जबकि आजकल बाजार से ही लोग बनी बनाई मूर्तियां खरीद कर इस पर्व को मनाते हैं।

बटराहा निवासी राजेश रंजन ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण सोमवार की संध्या ही पूर्णिमा तिथि में सामा चकेवा का विसर्जन किया गया। उन्होंने कहा कि सामा चकेवा पर्व पर गाम के अधिकारी तोहे बड़का भैया हे भैया हाथ दस पोखर खुनाई दियौ,चंपा फुल लगा दियौ ना एवं साम चके साम चके अभिह हे जोतिला खेत में बसीहअ हे।

उन्होंने कहा कि सामा चकेवा विसर्जन से पूर्व उन्हें चुरा दही का भोग लगाया जाता है एवं इस अवसर पर सामा चकेवा मूर्ति को भाइयों द्वारा तोड़े जाने पर उसे उपहार स्वरूप खाद्य सामग्री दी जाती है। उन्होंने कहा कि यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक हैं जो हर साल मनाया जाता है। वही चुुगला की बुराई कर उसके होंठो को दागा जाता है।वही इस अवसर पर महिलाएं समदाओन गीत गाकर नम आंखों से सामा को विदाई दी गई।इस अवसर पर भाइयो द्वारा पठाके फोड़कर पुन:अगले साल आने की कामना की गई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker