बिहार

 महज दो अनुदेशकों के कंधे पर 146 प्रशिक्षणार्थियों का भविष्य

मोतिहारी, 30 नवंबर। सरकार राज्य के युवाओं को तकनीकी शिक्षा देने का लाख दावा कर ले परंतु उसकी लाचार व्यवस्था के कारण यह दावा खोखला साबित होता दिखाई दे रहा है। राज्य में संचालित कई ऐसे सरकारी संस्थान हैं जहां संसाधन तो कमोबेस उपलब्ध है,लेकिन प्रशिक्षक व कर्मियों की कमी के कारण शिक्षण व प्रशिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। इसका एक उदाहरण औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान चकिया(केसरिया) है। श्रम संसाधन विभाग के अधीन संचालित इस संस्थान में मात्र दो ग्रुप इंस्ट्रक्टर उमेश रविदास व शम्मी कपूर हैं जिनके कंधे पर आधा दर्जन व्यवसाय के 146 प्रशिक्षणार्थियों का भविष्य है। मात्र दो अनुदेशक रहने के कारण कुशल प्रशिक्षण देने का कार्य प्रभावित होता है।

प्रभारी प्राचार्य मनीष कुमार के अनुसार इस संस्थान में इलेक्ट्रिशियन, फिटर, वेल्डर सहित छह ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इन ट्रेडों में वर्तमान सत्र में 146 प्रशिक्षणार्थी नामांकित हैं। प्रभारी प्राचार्य की मानें तो अनुदेशकों की कमी के कारण प्रशिक्षण कार्य में समस्या होती है। फिलहाल दो ग्रुप इंस्ट्रक्टरों की मदद से संस्थान में नामांकित सभी प्रशिक्षणार्थियों को शिक्षण व प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाता है।अब सवाल उठता है कि खोखला दावा कर सरकार क्या दिखाना चाहती है! इसमें न तो इस संस्थान की गलती है और न हीं यहां कार्यरत कर्मियों की। झूठे दावे कर सरकार युवाओं के भविष्य से खेल रही है।

– करीब साढ़े सोलह करोड़ की लागत से बना है संस्थान का भवन

प्रखण्ड मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर महम्मदपुर दुम्मा स्थित इस औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के भवन का निर्माण 16 करोड़ 47 लाख 757 रुपया की लागत से हुआ है।इसका निर्माण कार्य वर्ष 2019 में रामा एंड सन्स कंपनी ने करना प्रारंभ किया। जिसके वर्ष 2021 के जनवरी माह में पूरा किया गया।हालांकि विभागीय पेंच के कारण लंबे समय के बाद इसी वर्ष मई माह से इस भवन से प्रशिक्षण का कार्य शुरू किया गया है। इससे पहले इस संस्थान का संचालन मोतिहारी स्थित सीईओ भवन में होता था।

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