राष्ट्रीय

ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के सम्मेलन में देश के वर्तमान हालात पर की गई चर्चा

– शिक्षा पर विशेष बल, मस्जिदों और उससे सटी खाली जगहों पर प्राइमरी शिक्षा केंद्र खोले जाएंगे

– धरना-प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर नफरती पोस्ट से बचने की सलाह

नई दिल्ली/मुंबई, 21 मई । ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के मुंबई जिमखाना क्लब में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में देश के वर्तमान हालात पर गंभीर चर्चा की गई। इस मौके पर देशभर से आए उलेमा व बुद्धिजीवी ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं जिसमें शिक्षा के महत्व पर विशेष बदल दिया गया। बोर्ड का मानना है कि मुसलमानों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ दुनियावी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी प्रयास करना चाहिए। बोर्ड ने कहा है कि एक सोची-समझी साजिश और रणनीति के तहत मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को हिन्दुत्वादी ताकतों के जरिए निशाना बनाया जा रहा है।

बोर्ड ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे निपटने के लिए मुसलमानों को सब्र और शांति से काम लेने की जरूरत है। बोर्ड का कहना है कि इसके लिए मुसलमानों को सड़कों पर उतर कर धरना-प्रदर्शन करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।

उलेमा बोर्ड के सम्मेलन में देशभर से आए मुस्लिम उलेमा और बुद्धिजीवी ने देश के वर्तमान हालात से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए जिसपर मुसलमानों से अमल करने पर बल दिया गया। सम्मेलन में प्रत्येक मुसलमान बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करने को सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया गया। इसके लिए ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की तरफ से जागरूकता पैदा करने के लिए सेमिनार, कॉर्नर मीटिंग और महिलाओं की शिक्षा के लिए घर-घर जागरूकता अभियान चलाए जाने की बात कही गई है। इसके अलावा मस्जिदों और मस्जिदों से सटे खाली पड़े स्थानों पर प्राइमरी से लेकर हाईस्कूल स्थापित किए जाने की बात कही गई है।

इस मौके पर मुसलमानों को रोजगार से जोड़े जाने पर भी बल दिया गया। मुसलमानों को रोजगार उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया गया है। नौकरी नहीं मिलने पर मुसलमानों को फल और सब्जी के ठेले आदि लगाने के लिए उनकी आर्थिक मदद किए जाने और उन्हें स्वावलंबी बनाए जाने पर चर्चा की गई। मुसलमानों में नेतृत्व की कमी को दूर करने के लिए लीडरशिप पैदा करने पर भी बल दिया गया है। मोहल्ला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व विकास के लिए काम करने पर बल दिया गया है।

सम्मेलन में कहा गया कि मुस्लिम विरोधी ताकतें मस्जिदों को और धार्मिक स्थलों को निशाना बना रही हैं। ऐसे हालात में मुसलमानों को सूझबूझ और सब्र से काम लेना चाहिए। सम्मेलन में तय किया गया कि ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड इसके लिए एक रणनीति बनाकर काम करेगा। बोर्ड का कहना है कि इस तरह के मामलों में धरना प्रदर्शन से हालात खराब होते हैं। अगर धरना प्रदर्शन करना ही है तो उसमें भड़काऊ नारे और भाषण आदि से बचना चाहिए।

बोर्ड ने मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर अधिक बल देते हुए कहा है कि उन्हें शिक्षित करने की बेहद जरूरत है। लड़कियों को जायज नाजायज का फर्क बताने की जरूरत है, ताकि वह प्यार आदि के चक्कर में पड़कर अपनी जिंदगी खराब नहीं करें। बोर्ड ने मुसलमानों की इज्तेमाई (सामूहिक) शादी करने पर भी बल दिया है। बोर्ड का कहना है कि शादी के लिए जिनके पास पैसे नहीं हैं, बोर्ड उनकी शादी कराने की व्यवस्था करेगा।

बोर्ड ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफरत पर भी चिंता व्यक्त की और मुसलमानों से इस तरह के नफरत भरे पोस्ट से दूर रहने की सलाह दी है। बोर्ड ने टीवी चैनलों पर विभिन्न मुद्दों पर चलने वाली बहस पर भी चिंता व्यक्त करते हुए इससे मुस्लिम नेताओं, बुद्धिजीवियों को दूर रहने की सलाह दी है।

सम्मेलन में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना नौशाद अहमद सिद्दीकी, महासचिव अल्लामा बुनाई नईम हसनी, सलीम अल्वारे, कारी मोहम्मद यूनुस चौधरी, मौलाना मंजर हुसैन सल्फी, अशरफ इमाम जैदी, कारी मोबीन अहमद कादरी, मौलाना राशिद कासमी, मौलाना सूफी अहमद रजा कादरी, सलीम सुपारीवाला, मौलाना तुफैल अहमद नदवी, मौलाना सुफियान राशिद कासमी, मुफ्ती अब्दुल कलाम शकासमी, आरिफ मोईन आदि ने भाग लिया।

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