बिहार

मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से आत्म निर्भर हो रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र के युवा

सहरसा,12 सितंबर। सरकार द्वारा थर्मोकोल प्लेट पर प्रतिबंध लगाने के बाद जिले के सलखुआ प्रखंड से 8 किलोमीटर व सिमरीबख्तियारपुर अनुमंडल मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोरदह गांव में मुख्यमंत्री उधमी योजना के तहत खुद को आत्मनिर्भर बनाने व बेरोजगार लोगों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से चंद्रदेव प्रसाद यादव के 25 वर्षीय पुत्र रितेश कुमार ने दोना पत्तल फैक्ट्री खोल अपनी जिंदगी सँवारने में लगे हैं।

इस फैक्ट्री से बनाया गया दोना पत्तल अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न पँचायत के कई गांवों में शादी ब्याह, भोज भात, पार्टी व होटलों में खूब इस्तेमाल हो रहा है। एक अगस्त को दोना पत्तल फैक्ट्री का विधिवत उद्घाटन कर पत्तल बनाने का काम शुरू किया गया था। जिसमें प्रखंड क्षेत्र के कई बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण देकर दोना पत्तल बनाने का कार्य तेजी से शुरू किया गया। हर दिन फिलहाल 10 हजार पत्तल तैयार किया जाता है। इन दिनो आसपास से मिल रहे आर्डर को पूरा करने में काफी व्यस्त रहते हैं। गांवों में दोना-पत्तल मिलने से आसपास के ग्रामीण लोगों को उचित दामों पर शादी विवाह व अन्य जरूरी काम में काफी सहूलियत मिलती है। मालूम हो कि शुद्धता को ध्यान में रख वर्षों पहले बारीक सींक से माहुल, बड़, केला व मखाना के पत्तों में टांक कर पत्तल तैयार किया जाता था। वहीं वक्त के साथ इसे बनाने का ढंग बदल गया है और यह काम अब आधुनिक मशीनों से तैयार किया जाने लगा। यह पत्तल अब लोगों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

बताते चलें कि बदलते परिवेश में लोग थर्मोकोल के पत्तल को शादी समाहरोह में भोजन करने के लिए उपयोग में लाने लगे थे। जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगा। लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रख सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाया गया।

बिहार बोर्ड से मैट्रिक व इंटर पास करने के बाद रितेश ने भोपाल से इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उसी दौरान वर्ष 2014 में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की अंतिम वर्ष की पढ़ाई के समय सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। जिसमें उन्हें अपनी एक पैर गवानी पड़ी। इसके बाबजूद वो हिम्मत नहीं हारे व खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार सरकार के मुख्यमंत्री उधमी योजना से दोना पत्तल फेक्ट्री खोलकर बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इससे रितेश की आर्थिक स्थिति बदल रही है व सामाजिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि बेरोजगार युवाओं को अच्छी शिक्षा के बाबजूद कोई रोजगार नहीं होने पर खुद आत्मनिर्भर होने के लिए अपने आप को रोजगार से जोड़ना चाहिए। गोरदह गांव में ही आरव लघु कुटीर उद्योग के नाम से फैक्ट्री खोल आज दोना पत्तल से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस दोना पत्तल फैक्ट्री से रिंकल पत्तल, बफर पत्तल, थाली, दोना, प्लेट आदि बना तैयार होता है।

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