राष्ट्रीय

उदयपुर रेलवे ब्रिज ब्लास्ट मामले में तीन गिरफ्तार, एक बाल अपचारी निरुद्ध

-रेलवे ट्रैक के लिए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने से रची गई थी साजिश

जयपुर, 17 नवंबर। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने उदयपुर रेलवे ब्रिज पर ब्लास्ट मामले का गुरुवार को खुलासा किया। एटीएस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। मामले में एक बाल अपचारी को निरुद्ध किया गया है। आरोपितों में विस्फोटक बेचने वाला भी शामिल है। प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि रेलवे ट्रैक के लिए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने के कारण साजिश रची गई थी। फिलहाल आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। आरोपितों ने रेलवे के अधिकारियों को दो साल पहले भी पुल उड़ाने की धमकी दी थी। रेलवे लाइन में जमीन अधिग्रहण को लेकर आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) अशोक राठौड़ ने गुरुवार शाम को पत्रकारों से चर्चा करते हुए ब्लास्ट मामले से संबंधित अहम जानकारी दी। उन्होंने कहा आरोपित धूलचंद मीणा (32), प्रकाश मीणा (18) और एक 17 साल के लड़के को पकड़ा गया है। तीनों उदयपुर के जावर माइंस के एकलिंगपुरा के रहने वाले हैं। विस्फोटक बेचने वाले अंकुश सुवालका को भी हिरासत में लिया है। अंकुश के पिता फतेहलाल सुवालका की विस्फोटक बेचने की दुकान है। अभी तक की पूछताछ में सामने आया कि उनका उद्देश्य जनहानि का नहीं था। इस घटना के बाद से तीनों आरोपित मोबाइल बंद कर उदयपुर के सविना में छिपे थे।

राठौड़ ने बताया कि आरोपितों ने ट्रेन निकलने के बाद विस्फोटक लगाया था। इससे साफ होता है कि जनहानि की मंशा नहीं थी। विस्फोटक लगाने के बाद तीनों बाइक से निकल गए थे। ब्लास्ट के लिए विस्फोटक धोलकी पाटी इलाके में अंकुश सुवालका से लिया गया था। सिर्फ सरकारी सिस्टम का ध्यान आकर्षित करने के लिए साजिश रची गई थी। इसमें मुख्य आरोपित धूलचंद हिंदुस्तान जिंक में पहले काम कर चुका है। ब्लास्टिंग के बारे में उसे थोड़ी-बहुत जानकारी पहले से ही थी। उसने अपने गांव के ही रहने वाले चचेरे भाइयों को इस प्लान में शामिल किया। उसने दोनों भाइयों से कहा था कि हल्का नुकसान होगा। इसलिए दोनों इसकी बातों में आ गए।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एटीएस ने बताया कि 1974-75 और 1980 में धूलचंद मीणा की जमीन रेलवे और हिंदुस्तान जिंक ने अधिग्रहित की थी। इसके बाद उसको मुआवजा या नौकरी नहीं मिली है। इसके लिए यह लगातार कई साल से प्रयास कर रहा था। जब कोई मदद नहीं मिली तो गुस्से में ट्रैक उड़ाने का प्लान बनाया।

गौरतलब है कि 12 नवंबर की रात 11 बजे उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर अज्ञात लोगों ने ब्लास्ट कर दिया था। इससे पटरियों पर क्रैक आ गया। इसके बाद कई एजेंसियां इस मामले की जांच करने मेें जुटी थी। वहीं मुख्यमंत्री ने भी मामले की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस और एटीएस ने सघन तलाशी अभियान चला रखा था।

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