राष्ट्रीय

 जी-20 प्रतीक चिन्ह से परिलक्षित हो रही है ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की धारणा : प्रधानमंत्री मोदी

– भारत की जी20 की अध्यक्षता के प्रतीक चिन्ह, मुख्य वाक्य और वेबसाइट का किया अनावरण

– जी-20 के प्रतीक चिन्ह में कमल इस कठिन समय में आशा का प्रतीक

– जी-20 शिखर वार्ता की मेजबानी भारतीयों के लिए गर्व और गौरव का विषय

नई दिल्ली, 08 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भारत की मेजबानी में अगले वर्ष आयोजित होने वाली जी-20 शिखर वार्ता का प्रतीक चिन्ह (लोगो), मुख्य वाक्य (थीम) और वेबसाइट का अनावरण किया। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के मंच की शिखर वार्ता भारत में पहली बार आयोजित होगी।

जी-20 के प्रतीक चिन्ह में सात पंखुड़ियों वाले कमल के फूल पर गोलाकार विश्व स्थित है। इसके नीचे भारतीय संस्कृति का प्रसिद्ध ध्येय वाक्य ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अंकित है। साथ ही वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर (एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य) को स्थान दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रतीक चिन्ह के निर्माण में सभी देशवासियों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। मोदी ने कहा, “इस लोगो और थीम के जरिए हमने एक संदेश दिया है। युद्ध के लिए बुद्ध के जो संदेश हैं। हिंसा के प्रतिरोध में महात्मा गांधी के जो समाधान हैं। जी 20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है।”

प्रधानमंत्री ने जी-20 शिखर वार्ता के प्रतीक चिन्ह और मुख्य वाक्य की व्याख्या भी की। उन्होंने कहा कि प्रतीक चिन्ह में कमल का फूल भारत की पौराणिक धरोहर, हमारी आस्था और हमारी बौद्धिकता को चित्रित कर रहा है। प्रतीक चिन्ह के कमल की सात पंखुड़ियों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुनिया के सात महाद्वीपों और संगीत के सात स्वरों का प्रतिनिधित्व करती हैं। प्रतीक चिन्ह इस आशा को जगाता है कि दुनिया एक साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा, “जी-20 का ये लोगो केवल एक प्रतीक चिन्ह नहीं है। ये एक संदेश है। ये एक भावना है, जो हमारी रगों में है। ये एक संकल्प है,जो हमारी सोच में शामिल रहा है।”

उन्होंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र के जरिए विश्व बंधुत्व की जिस भावना को हम जीते आये हैं वह विचार इस प्रतीक चिन्ह और एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के मुख्य वाक्य में प्रतिबिंबित हो रहा है। कोरोना महामारी और यूक्रेन संघर्ष का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि अभूतपूर्व महामारी, संघर्ष और आर्थिक अनिश्चितता के दुष्प्रभावों से दुनिया जूझ रही है। प्रतीक चिन्ह में कमल इन विपरीत परिस्थितयों में आशा जगाता है। चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हों कमल खिलता रहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर वार्ता का आयोजन 130 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा, “आजादी के अमृतकाल में देश के सामने जी-20 की अध्यक्षता का बड़ा अवसर आया है। यह हर भारतवासी के लिए गर्व और गौरव बड़ाने वाली बात है।” उन्होंने कहा कि जी-20 ऐसे देशों का समूह है जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 85 प्रतिशत की भागीदारी रखता है। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या रहती है तथा विश्व व्यापार में इसकी 75 प्रतिशत की भागीदारी है।

प्रधानमंत्री ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि हमें दुनिया को अपने साथ लेकर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना है। मोदी ने कहा, “भारत विश्व का इतना समृद्ध और सजीव लोकतंत्र है। हमारे पास लोकतंत्र के संस्कार भी हैं, और लोकतंत्र की जननी के रूप में गौरवशाली परंपरा भी है। भारत एक ओर विकसित देशों से घनिष्ठ रिश्ते रखता है, और साथ ही विकासशील देशों के दृष्टिकोण को भी अच्छी तरह से समझता है, उसकी अभिव्यक्ति करता है। हमारा प्रयास रहेगा कि विश्व में दुनिया में कोई ‘पहली दुनिया’ या ‘तीसरी दुनिया’ न हो, बल्कि ‘एक दुनिया’ हो।”

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जी-20 शिखर वार्ता की मेजबानी इंडोनेशिया कर रहा है। इसी वर्ष नवंबर महीने में इंडोनेशिया के बाली में शिखर वार्ता आयोजित है। शिखर वार्ता पर यूक्रेन संघर्ष के कारण अनिश्चितता बनी हुई है। शिखर वार्ता में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य विश्व नेताओं को भाग लेना है। यूक्रेन संघर्ष के कारण रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनातनी बनी हुई है। राष्ट्रपति पुतिन शिखर वार्ता में भाग लेंगे या नहीं इसे लेकर अनिश्चिय की स्थिति है। बाली बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की को आमंत्रित किया गया है। हाल के दिनों में कूटनीतिक हलकों में यह चर्चा चल रही है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देश यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मध्यस्थता प्रयास पर गौर कर रहे हैं।

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