राष्ट्रीय

 दाउदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा का केस नौ सदस्यीय बेंच को भेजने पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान बेंच ने दाउदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा का केस नौ सदस्यीय बेंच को भेजने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस सौजन्य किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता में गठित बेंच के अन्य सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी हैं। सुप्रीम कोर्ट 1962 के उस फैसले की पड़ताल कर रहा है, जिसमें बोहरा समुदाय के नियम न मानने वालों को समुदाय से बाहर करने का अधिकार दिया था। 1962 का फैसला पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने दिया था। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने 2016 में सामाजिक बहिष्कार निरोधक कानून बनाया, जिसमें बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा पर रोक लगा दी गई।

आज सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि या तो ये मामला संविधान बेंच नौ सदस्यीय बेंच को विचार के लिए भेज दिया जाये या नौ सदस्यीय संविधान बेंच को मौजूदा बेंच सहयोग करे। उन्होंने कहा कि 1962 का फैसला भी पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने किया था ऐसे में इस पांच सदस्यीय बेंच को उसकी पड़ताल नहीं करनी चाहिए। याचिकाकर्ता दाई-अल-मुतलक की ओर से वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन ने कहा कि नौ सदस्यीय संविधान बेंच के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए।

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