सोनीपत में छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों का सेशन शुरू हुए 4 महीने बीत चुके हैं और बच्चे लगातार स्कूलों में पहुंच रहे हैं। स्कूलों में इन तीनों कक्षाओं में 4 महीने से किताबें ना पहुंचने के कारण बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। बिना किताबों के खास तौर पर बेटियों की शिक्षा अधर में लटकी हुई है और प्रशासन अभी भी 8 अगस्त तक पहुंचने की उम्मीद जता रहा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा प्रदेश की सरकार लगातार बुलंद करने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन प्रदेश में जहां बेटियां तो बचना शुरू हो गई हैं लेकिन बेटियों की पढ़ाई अधर में लटक रही है। ऐसा हम नहीं बल्कि सोनीपत के गांव शहजादपुर में पढ़ने वाली बेटियां कह रही हैं। दरअसल बेटियां ऐसा इसलिए भी कह रही है। क्योंकि सोनीपत जिले में ही नहीं बल्कि अन्य कई जिलों में छठी से आठवीं तक की कक्षाओं का नया सेशन शुरू हुए 4 महीने बीत चुके हैं और हालात यह हैं कि स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए पुस्तके नहीं भेजी गई है। कहावत है कि बिना पुस्तक की पढ़ाई असंभव है और चरितार्थ सोनीपत के एक गांव शहजादपुर के सरकारी स्कूल में हो रही है। जानकारी के मुताबिक सोनीपत जिले में 291 ऐसे स्कूल है। जहां पर छठी से आठवीं तक की कक्षाएं लगती है और नई कक्षा का सेशन शुरू हुई भी 4 महीने बीत चुके हैं। लेकिन विद्यालयों में किताबें नहीं पहुंची हैं ऐसे में बेटियों और अन्य विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई करना मुश्किल हो गया है सरकारी स्कूलों में 95% लोग मजदूर ,दिहाड़ीदार और आम आदमियों के बच्चे पढ़ाई करते हैं। जिसके कारण ये लोग अपने बच्चों और बेटियों को बड़े, प्रतिष्ठित व प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने में असमर्थ होते हैं। इनके ज्यादातर बच्चे या तो स्कूल जाते ही नहीं या फिर सरकारी स्कूलों में ही आश्रित रहते हैं। 4 महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन अभी भी 8 अगस्त तक के किताबे पहुंचने का दावा कर रहा है यह बड़ा दुर्भाग्य है कि बिना किताबों की पढ़ाई कैसे संभव है वही बेटियों का कहना है कि सरकार बेटियां तो बचा रही है लेकिन बेटियों की पढ़ाई नहीं हो रही है वही बिना पढ़ाई के घर पर पढ़ाई करना उनके लिए काफी परेशानी भरा होता है। हालात यह भी है कि स्कूल प्रशासन पुरानी किताबें अरेंज करके बच्चों को एक कक्षा में एक ही डेक्स पर एक किताब में तीन-तीन बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यार्थियों का कहना है स्कूल के टीचर अच्छी पढ़ाई करवाते हैं लेकिन घर पर बिना किताब कैसे पढ़ाई करें और उनके परिवार में अभिभावक भी आर्थिक रूप से काफी गरीब है। वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सतीश राज देसवाल ने कहा कि सरकार को केजरीवाल सरकार के दिल्ली मॉडल को देखना चाहिए और वही बिना किताबों के पढ़ाई कैसे होगा सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
वही स्कूल के हेड टीचर राज सिंह ने बताया कि जहां कोरोना काल में भी बच्चों को पुस्तके नहीं मिली थी और उनके खातों में पैसे डाले गए थे और अब किताबें ना होने के कारण बच्चे बार-बार स्कूल में किताबों की मांग करते हैं और बच्चों को बार बार दिलासा दी जाती है लेकिन बिना किताबों के घर पर काम करना बच्चों के लिए परेशानी होती है।