भटके मन को एक जगह केन्द्रित करना ही योग है : जीयर स्वामी
बलिया, 25 अगस्त। श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने अपने चातुर्मास स्थल पर गुरुवार को योग का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि मन और बुद्धि कहीं भटक गया है, कहीं अटक गया है, उसको चारों तरफ से केन्द्रित कर, पकड़ कर, समझा कर और एक जगह लाकर बांध लेना ही योग है।
उन्होंने कहा कि शुकदेवजी महाराज से राजा परीक्षित ने पूछा की ये हमारे भावना कैसे आएंगे। तो सुकदेव जी महाराज ने कहा कि इसके लिए योग को करना पड़ेगा। फिर प्रश्न किया कि योग कितने हैं और किसे कहते हैं? योग केवल इतना ही नहीं की सांस को लेना फिर छोड़ना। यह केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए अच्छा है, लेकिन इतने से हम योग के अधिकारी हो जाएंगे यह बात नहीं है।
स्वामी जी महाराज ने बताया कि चित्त की चंचलता को रोका नहीं जा सकता है। मोड़ा जा सकता है। इसको दूसरे जगह ट्रांसफर किया जा सकता है। प्रतिस्थापित किया जा सकता है। जो चीज नहीं रुकने वाला है उसे कैसे आप रोक सकते हैं। इसलिए मन को लगाना है तो वहां लगाइए जिसने पूरे संसार को बनाया है। उन्हीं में अपनी चित्त की चंचलता को लगा दीजिए। जब-जब मन करता है कुछ गुनगुनाने की तो मुरली वाले के नाम को गाइए। घूमने की इच्छा हो तो क्लब में मत जाइए। बल्कि विन्ध्याचल, अयोध्या, मथुरा और काशी चले जाइए। ऐसा करने से एक न एक दिन जो गलत प्रक्रियाओं में लग गया है वह मुड़ जाएगा और मुड़कर हमेशा-हमेशा के लिए उससे अलग हो जाएगा।