खत्म होगा 17 सितंबर को चीतों का इंतजार, करीब 2 महीने बाद चीतों को देख सकेंगे आमजन
नई दिल्ली, 12 सितंबर। मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। 17 सितंबर की सुबह नामीबिया से आठ चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाए जाएंगे। नामीबिया से विशेष विमान बोइंग 707 से जयपुर हवाई अड्डे से लाया जाएगा, वहां से चीतों को विशेष हेलिकॉप्टर से मध्यप्रदेश के कूनो ले जाया जाएगा। पार्क में 6 छोटे बाड़े स्थापित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी उसी दिन चीता पुनर्स्थापना कार्यक्रम के तहत बाड़ों में चीतों को छोड़ेंगे।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान का निरीक्षण कर लौटे केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोमवार को बताया कि आठ चीतों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्थानांतरित किया जा रहा है। विशेष विमान में वेटीनरी डॉक्टरों की टीम की निगरानी में आठों चीतों को लाया जा रहा है। फिर वहां से हेलिकॉप्टर से चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया जाएगा। उद्यान में तैयारियों के बारे में बताते हुए भूपेन्द्र यादव ने बताया कि कूनो में चीतों को रखने के लिए छह बाड़े तैयार किए गए हैं। पहले चरण में सभी चीतों को एक महीने के लिए यहीं क्वारंटीन रखा जाएगा। इस दौरान सभी चीतों की चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी। सभी आठ चीतों में रेडियो कॉलर लगाए गए हैं जिनसे इनकी मॉनिटरिंग होती रहेगी। दूसरे चरण में सभी को एक वर्ग किलोमीटर के बाड़े में छोड़ा जाएगा। दो महीने के बाद आम लोग इन सभी चीतों को देख पाएंगे।
उन्होंने बताया कि चीतों की वापसी एक ऐतिहासिक कदम है। इससे पर्यावरण संतुलन को कायम रखने में आसानी तो होगी ही साथ ही स्थानीय लोगों में खुशहाली का संचार होगा। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियां मौजूद है, वहीं सैंकड़ों प्रजातियां वन्य जीवों की हैं। पक्षियों की 12 प्रजातियां तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(एनटीसीए) के महानिदेशक डॉ. एस पी यादव ने बताया कि नामीबिया से आने वाले आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर है। इन सभी की उम्र चार से छह महीने के बीच है। उन्होंने बताया कि कूनो के राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्त है। इसमें इसके अतिरिक्त करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिलों श्योपुर और शिवपुरी में चीतों के स्वंच्छद वितरण के लिए उपयुक्त हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।
कब औऱ कैसे गायब हुई थे चीता
मौजूदा समय में विश्व में करीब 7000 चीते हैं। लेकिन भारत में आखिरी बार चीता साल 1948 में देखा गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 73 साल पहले एक वयस्क चीता और दो शावकों का शिकार किया। उन्होंने इसकी तस्वीरें बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी को भेजी थीं। 1947 में अपने शिकार के साथ खड़े महाराजा की चीतों के साथ यह तस्वीर भारतीय इतिहास में अंतिम साबित हुई। आखिरकार 1952 में सरकार ने अधिकारिक तौर पर चीता को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया।
क्या है चीते की खूबी
चीता दुनिया का सबसे तेज़ रफ़्तार से दौड़ने वाला जानवर है। ये 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है। आज पूरी दुनिया में सिर्फ़ 7000 के करीब ही चीतें बचे हैं।