खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए पराली को खेतों पर मिलाएं किसान : डॉ. खलील खान
कानपुर, 08 अक्टूबर। खरीफ की फसल धीरे-धीरे परिपक्व हो रही है और किसान भाई पराली को खेतों पर जला देते हैं। यह नियमानुसार तो गलत है ही, साथ ही इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी कमजोर होती है। ऐसे में किसान भाइयों को चाहिये कि फसल की पराली को उसी खेत में मिला दें, ताकि वह सड़कर जैविक खाद बन सके। इससे किसानों को फसल उत्पादन पर बेहतर लाभ होगा। यह बातें शनिवार को सीएसए के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर द्वारा ग्राम भगवंतपुर में फसल अवशेष प्रबंधन पर ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कृषकों को बताया कि किसान भाई पराली को खेतों में मिलाएं तथा खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। पराली में आग लगाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है एवं आवश्यक पोषक तत्वों का नुकसान होता है।
डॉ. एके सिंह ने बताया कि फसल अवशेष हमारे खेतों के लिए भोजन का काम करते हैं जो खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ उसमें उत्पादित उपज की गुणवत्ता को भी बढ़ाते हैं।
वैज्ञानिक डॉक्टर निमिषा अवस्थी ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन की कई मशीनें हैं जो पराली को आसानी से खेत में मिला सकते हैं तथा वेस्ट डी कंपोजर द्वारा फसल कम समय में पराली को सड़ा कर आगामी फसल बोई जा सकती है। यह मशीनें हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं मल्चर आदि है।
कार्यक्रम में गांव के किसानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया एवं खेती-किसानी, पशुपालन तथा बागवानी से संबंधित अपनी शंकाओं का समाधान भी किया। गांव में एक फसल अवशेष प्रबंधन जागरुकता रैली भी निकाली गई, जिसमें किसानों ने शपथ ली कि फसल अवशेषों को आग नहीं लगाएंगे।
इस अवसर पर प्रगतिशील कृषक सुरेंद्र कुमार, सालिक राम, राम शंकर, सियाराम एवं मुन्नीलाल सहित एक सैकड़ा किसान उपस्थित रहें।