सब्जी एवं फलों को अपने भोजन में शामिल कर रहे ग्रामीण : डॉ. ममता पाटिल
कानपुर, 21 अक्टूबर। जैव संवर्धित योजना से ग्रामीणों के जीवन स्तर में काफी सुधार आ रहा है। इस योजना के तहत मिलने वाले सब्जी एवं फलों के बीजों को ग्रामीण बेहतर प्रयोग कर रहे हैं। इससे अब ग्रामीण अपने भोजन में पोषकीय सब्जियों के साथ फलों को भी शामिल कर रहे हैं। यह बातें शुक्रवार को जैव संवर्धित फसलों की योजना की समीक्षा करने पहुंची भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की डॉ. ममता पाटिल ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर में चल रहे जैव संवर्धित फसलों की योजना की समीक्षा राष्ट्रीय पोषण संस्थान व चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की टीम द्वारा किया जा रहा है। इसी क्रम में ग्राम अनूपपुर, सहतावनपुरवा, मझियार एवं बरियन नेवादा सहित औरंगाबाद में बच्चों एव महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
सर्वेक्षण में पता चला कि योजना द्वारा वितरित सब्जी के बीज एवं पौधों का वितरण किया गया जिसके परिणाम स्वरूप लोगों में आहार विविधता बढ़ी है। इसके साथ ही लोगों में ‘क्या खायें, कैसे खायें’ जिसका कुपोषण उन्मूलन से सीधा संबंध है, के प्रति जगरुकता बढ़ी है।
सर्वेक्षण कर रही टीम में अभिषेक सिंह के अनुसार जैव संवर्धित परियोजना के परिणाम काफी आशा जनक है। टीम में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से डॉ. ममता पाटिल, अभिषेक के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. अशोक कुमार ने गांवों का सर्वेक्षण कराया।
डॉ. अशोक ने बताया कि किसानों को लाल मूली, बैगनी गोभी एवं सहजन आदि सब्जियों के बीज वितरित किये गये थे जिसे अब वह इन सब्जियों को अपने भोजन में शामिल कर रहे हैं।