प्रेम, शांति एवं मानवता के दिव्य संदेश के साथ 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का समापन
निरंकारी संत समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा प्रवचन करते हुए ।
गन्नौर। स्वयं को शांति एवं प्रेम का स्वरूप बनाते हुए पूरे संसार में इन दिव्य भावों को फैलाते जायें।’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन सत्र में देश विदेशों से लाखों की संख्या में सम्मिलित हुए विशाल मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
सत्गुरु माता सुदीक्षा महाराज के आशीर्वचनों द्वारा प्रेम, शांति एवं मानवता का दिव्य संदेश प्रसारित करने वाले इस पंचदिवसीय समागम का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। शांति एवं अमन के संदेश की महत्ता को समझाते हुए सत्गुरु माता ने कहा कि यह संदेश दूसरों को देने सेे पहले हमें स्वयं अपने जीवन में धारण करना होगा। किसी के प्रति मन में वैर, ईर्ष्या का भाव न रखते हुए सबके प्रति सहनशीलता एवं नम्रता जैसे गुणों को अपनाते हुए सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना होगा। ब्रह्मज्ञान के द्वारा जब हमें यह बोध हुआ कि हम सभी इस परमपिता की ही सन्तान है, इसी का ही अंश है, तब हमारे हृदय में परोपकार के दिव्य गुणों का समावेश हो गया। संसार में मिशन की शांति एवं एकत्व की पावन छवि बनी हुई है इसमें मिशन के हर एक संत का बहुमूल्य योगदान है। इसके पूर्व समागम समिति के समन्वयक एवं सन्त निरंकारी मण्डल के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी का हृदय से आभार प्रकट किया ।